विद्युत कनेक्शन लेने से कटवाने तक में होता उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण

महोदय क्या है किस्सा जरा हमें भी बताएं कहां-कहां पहुंचता है हिस्सा
ऊपर से नीचे तक फैली हैं भ्रष्टाचार की जड़ें, बिना दलाल के आसान नहीं होता हर कोई काम
उपभोक्ता की शिकायत पर होने वाली कार्रवाई का नहीं होता कोई भी भय
उपभोक्ता पर कार्रवाई के लिए बहुत हैं कानून और विभागीय अधिकारी-कर्मचारी हेतु जीरो है बिल्कुल कानून

फतेहपुर। विद्युत कनेक्शन लेने से कटवाने तक में उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण किया जाता है। भ्रष्टाचार की जड़े ऊपर से नीचे तक फैली हुई हैं। बिना सुविधा शुल्क के काम आसान बिल्कुल भी नहीं होता है। व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते ही दलालों के माध्यम से काम कराना आसान होता है। जबकि उपभोक्ता स्वयं अपने काम के लिए जाता है तो उसे लगातार दौड़ाया जाता है।
विद्युत विभाग में उपभोक्ताओं के अधिकार की बात करना तो शायद बेमक़सद ही है। क्योंकि जो जिस सीट पर बैठा होता है, वह अपने को ही सबसे बड़ा हाकिम समझता है। उसे उपभोक्ता की शिकायत या उस शिकायत पर होने वाली कार्रवाई का कोई भय नहीं किसी प्रकार का नही होता है। इसका कारण शायद यह है कि किसी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई होती ही नहीं है।
नाम न छापने की शर्त पर एक आवेदनकर्ता ने बताया कि विद्युत कनेक्शन लेने की बात करें तो जो रेट निर्धारित है, उस पर कनेक्शन देने के लिए विभाग के जिम्मेदार अधिकारी तैयार ही नहीं होते हैं। तमाम तरह की अड़चन बताकर आवेदनकर्ता को टरका देते हैं। वह आवेदन के साथ धनराशि लिये इधर से उधर भटकता रहता है। वहीं जो आवेदनकर्ता सीधे स्वयं न जाकर दलाल की शरण में चला जाता है तो दलाल उससे 1000 से 1500 लेकर कनेक्शन करा देते हैं। यदि पोल से घर की दूरी अधिक हुई तो सुविधा शुल्क बढ़ जाता है और सुविधा शुल्क दिये बिना कनेक्शन नहीं दिया जाता है। चाहे आप जितना भी दौड़ भाग कर ले चाहे जितना भी प्रयास कर ले
एक उपभोक्ता ने बताया कि उसने कनेक्शन कटवाने के लिए आवेदन दिया तो पूरा बिल जमा कराकर कनेक्शन तो काट दिया गया। लेकिन विभागीय लेखाजोखा में उसका कनेक्शन और बिल दोनों ही चलता रहा और बाद में नोटिस भेज दी। अब फिर विभाग के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। बताया कि कनेक्शन कटवाना तो टेढ़ी खीर है।
एक उपभोक्ता ने बताया कि वह घर पर नहीं था। किसी का बिल बकाया होने पर कनेक्शन काटने आये और पोल से बकायेदार के बजाय उसका कनेक्शन काट गये। जानकारी होने पर पावर हाउस जाकर शिकायत करने पर विभागयी कर्मचारी आये और कनेक्शन जोड़ने के बाद उनकी सुविधा शुल्क की मांग को भी पूरा करना पड़ा। मतलब गलती चाहे जो करें खामियाजा उपभोक्ता को ही भुगतना है। वह चाहे गरीब हो या अमीर, ऐसा लगता है जैसे उपभोक्ता के घर में पैसों का पेड़ लगा होता है। बाकी बेगारी हैं और उन सबके हाथ में कटोरा है। मिलने वाली मोटी तनख्वाह का न जाने क्या करते हैं ? ऐसा प्रतीत होता है कि उपभोक्ताओं पर कार्रवाई के लिए बहुत कानून हैं और विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए कार्रवाई के नाम पर कानून जीरो है, वाह भाई वाह।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

नमस्कार,J news India में आपका हार्दिक अभिनंदन हैं, यहां आपकों 24×7 के तर्ज पर पल-पल की अपडेट खबरों की जानकारी से रूबरू कराया जाएगा,खबर और विज्ञापन के लिए संपर्क करें- +91 9044953076,हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें साथ ही फेसबुक पेज को लाइक अवश्य करें।धन्यवाद