उपभोक्ताओ के आर्थिक शोषण के लिए ज्वैलर्स ने बना रखे हैं अपने नियम

महिलाओं की मांग-सर्राफा व्यापारियों की मनमानी पर सरकार को लगानी चाहिए रोक

दिन पर दिन सर्राफा व्यापारी ग्राहकों को लगते हैं लंबा चुना

कानपुर/फतेहपुर। उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए सरकार ने सन 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बनाकर अधिकार प्रदान किये। इसके बाद भी उपभोक्ताओं के अधिकारों को धता बताकर उनका आर्थिक शोषण किया जा रहा है। जैसे ज्वैलर्स प्रतिष्ठानों की बात की जाये तो सोना, चाँदी व डायमण्ड आदि की ज्वैलरी की बिक्री के जो नियम हैं। उन नियमों को उपभोक्ता सर्राफा व्यापारियों की मनमानी करार देते हैं। उपभोक्ता में महिलाओं की मांग है कि सरकार को सर्राफा व्यापारियों की मनमानी पर रोक लगाकर उनके अधिकारों की रक्षा कर आर्थिक
शोषण से छुटकारा दिलाना चाहिए।
ज्योति पाण्डेय ने कहा कि सोना,
चाँदी व डायमण्ड के आभूषणों

का व्यापार करने वाले ज्वैलर्स ने

अपने नियम बना रखें हैं। उन

नियमों के सहारे आभूषण खरीदने

वाले उपभोक्ताओं का मनमानी

तरीके से आर्थिक शोषण करते

हैं। बताया कि आभूषण खरीदते

समय अधिकतर सर्राफा व्यापारी

पक्का बिल नहीं देते हैं। आभूषणों

में

शुद्धता न होने के कारण जहाँ

से खरीदों वहीं बेचने की मज़बूरी

होती है। क्योंकि दूसरा ज्वैलर्स

आभूषण नहीं खरीदता है और

यदि बहुत आवश्यकता हुई तो

मनमाना परसेन्टेज़ काटता है।
जिसके कारण सोना चांदी खरीदने वाले का बेहद ही भारी नुकसान होता है कुल मिलाकर हर प्रकार से हम उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण किया जाता है। समाजसेविका रितिका गुप्ता व मालती देवी ने कहा कि सर्राफा व्यापारियों ने जो भी नियम बना रखें हैं। वह उन्होंने अपने लाभ के लिए बना रखें हैं। हम सोने चांदी खरीदारों के लिए कोई भी नियम नहीं है
इन नियमों के विपरीत उपभोक्ताओं के हित में सरकार को कदम उठाना चाहिए। सोना में मिलावट का खेल खत्म करने के लिए उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए। ताकि सर्राफा व्यापारी उसकी आवश्यकता पर आभूषण है।
बेचने में रुकावट न लगा सकें। ए कहा कि एक दूकान से खरीदा गया आभूषण उपभोक्ताओं के बेचने पर दूसरे दुकानदार द्वारा न खरीदा जाना इस बात का प्रतीक होता है कि उसमें मिलावट है। मिलावट से पर्दा जब उठ जाता है जब दुकानदार द्वारा कम पैसों में खरीदने की बात की जाती है और अपनी जरूरत पूरी करने के लिए उपभोक्ताओं को कम पैसों में ही अपने आभूषण को बेचना पड़ता है सरकार से प्रमाणित आभूषण की ही करनी चाहिए खरीदारी ज्वैलर्स प्रभाकर पाण्डेय ने बताया कि बाजार में दो प्रकार के आभूषणों की बिक्री की जाती है। एक देशी और दूसरे सरकार द्वारा प्रमाणित फैन्सी आभूषण हैं। फैन्सी आभूषण में परसेन्टेज के हिसाब से तीन कटागिरी होती हैं जिसमें 75 प्रतिशत, 85 प्रतिशत व 92 प्रतिशत के फैन्सी आभूषण अलग-अलग रेट के होते हैं। उपभोक्ताओं को चाहिए कि प्रमाणित (हॉलमार्क) का चिन्ह देखकर ही आभूषण खरीदें। इन आभूषण को कहीं भी उसी परसेन्टेज के हिसाब से बेचा जा सकता है। अब हम लोगों को ही ऐसी महंगाई और ऐसे समय पर बेहद ही सोच समझ कर तय करना पड़ेगा कि सोना चांदी कहां से और किस सही जांच कर कर सही जांच कर कर किस पर विश्वास करके कैसे खरीदे सोने चांदी के आभूषण खरीदने के लिए बेहद ही सावधान और सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि आप घाटे में हो सकते हैं

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