हरी भरी सब्जियो के दाम और गुणवत्ता पर नहीं है कोई भी मानक

कानपुर लखनऊ उपभोक्ताओं से भी दुकाने चलती है लेकिन उपभोक्ताओं के अधिकारो की बात करें तो या कहीं भी सुरक्षित नजर नहीं आते हैं हर दुकानदार उपभोक्ताओं पर अपना रूप ग़ालिब करता प्रतीत होता है इन बातों से हर वह व्यक्ति परिचित होगा जो बाजार जाकर खरीदारी करता है क्योंकि दुकानदारों के पास अपने तो सारे अधिकार सुरक्षित है लेकिन उपभोक्ताओं के अधिकार की बात आती है तो ना गुणवत्ता का कोई पैमाना होता है और ना डैम का जैसे की हरी सब्जियों की बात करें तो गुणवत्ता का आलम यह है कि उनको भी बन सवर कर महंगे दाम में बेचा जा रहा है और उपभोक्ताओं को बोलते भी नहीं दिया जाता है लखनऊ में हरी सब्जी की खरीदारी करने बाजार आए राजू कुमार सुरेश समीर राजवीर सिंह आदि ने बताया कि हरी सब्जियों को हर दिखाने के लिए रंग रोशन किए जाने के मामले प्रकाश में आते रहते हैं परवा से लेकर खीर हुआ भिंडी तक को हरा रंग चढ़ा कर ताजा दिखाया जाता है और महंगे महंगे दामों में बेचकर उपभोक्ताओं की जेब काटने से लेकर उसके स्वास्थ्य तक से खिलवाड़ किया जाता है कानपुर में सब्जी की खरीदारी करके घर आ रहे रजकिशोर कुमार सीमा देवी सफीक कृष्ण आदि का कहना है कि दुकानदार हरी सब्जियों का वजन बढ़ाने के लिए उन्हें पानी से तरबतर करते रहते हैं जैसे मिर्च हरी धनिया सोया मेथी परवल करेला कुंदरूवा अदरक आदि कहना रहा है कि विरोध करने पर बताते हैं कि पानी छिड़काव करने से पीछे का कारण सब्जियों को हरा भरा बनाएं रखते हैं लेकिन देखा या जाता है कि पानी की बहुलापत से सब्जियां सड़ने लगती है
इससे होता यह है कि बाजार में सब्जी ले जाने के बाद कई सब्जियां पकाने से पहले ही खराब हो जाती है इससे उपभोक्ताओं का पैसा भी बर्बाद हो जाता है वही उन्नाव में सब्जी की खरीदारी कर रहे राकेश रमेश गुड्डू ने बताया कि सब्जी विक्रेताओं द्वारा सब्जियों के मनमाने रेट लिए जाते हैं बाजार में कहीं लहसुन ₹200 रुपए प्रति किलो बेचा जाता है तो कहीं ₹300 प्रति किलो बेचा जाता है इस तरह अदरक 150 रुपए प्रति किलो से लेकर ₹200 प्रति किलो की दर से बचा जा रहा है उसमें भी गुणवत्ता का कोई मानक नहीं है लहसुन में भी खराब सुखी पोथी मिली रहती है और अदरक तो पानी की अधिकता के चलते सड़ा भी बचा जा रहा है। सबसे खास बात यह है कि उपभोक्ताओं का इतना भी अधिकार सुरक्षित नहीं है कि वह दुकानदार की मनमारी का विरोध कर सके क्योंकि तत्काल कार्रवाई के लिए कहीं कोई व्यवस्था ही नहीं की गई है कार्रवाई का रास्ता पुलिस और मुकदमा बड़ी है जिस समय और धन दोनों की बर्बादी है इसलिए उपभोक्ता खामोश हो जाता है और दुकानदारों की पावर 12 है उपभोक्ताओं की मांग है की सब्जी विक्रेताओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई के लिए सीधी व सरल व्यवस्था की जाए जिससे उपभोक्ताओं के अधिकार सुरक्षित रह सके। जिस्से कम से कम सब्जियो के थोक एवं फुटकर विक्रेता सड़ी सब्जी एवम केमिकल्स मिलावटी सब्जी ना बेज सके जिससे लोगों को सही मूल्य एवं ताजी सब्जियां साथ ही बिना केमिकल की सब्जियां मिल सके जिससे किसी भी प्रकार की लोगों को स्वस्थ के लिए किसी भी प्रकार की कोई परेशानी ना हो।

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