जिलाधिकारी अपडेट 10 नवंबर, 2023 कानपुर नगर।
मा0 न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे (से0नि0) अध्यक्ष मा0 सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन
रोड सेफ्टी द्वारा स्टेट गेस्ट के रूप में दिनांक 10.11.2023 को कानपुर नगर में प्रवास/भ्रमण किया गया। अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी द्वारा रोड सेफ्टी की संक्षिप्त बैठक आज दिनांक 10.11.2023 को अपरान्ह 03.00 बजे कानपुर विकास प्राधिकरण (के0डी0ए0), मोतीझील, कानपुर नगर के सभागार में आयोजित की गयी। बैठक का प्रारम्भ करते हुए अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट कमेटी द्वारा भारत में हो रही सड़क दुर्घटनाओं पर चिन्ता व्यक्त करते हुए अवगत कराया गया कि सन् 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सड़क दुर्घटनाओं में हो रही वृद्धि के दृष्टिगत कमेटी आन रोड सेफ्टी का गठन किया जाये, जो केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से इस तथ्य की जाॅच करेगी कि बढ़ती हुई सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु का प्रमुख कारण क्या है और इसे कम कैसे किया जा सकता है। उक्त कमेटी सुप्रीम कोर्ट के सेवा नि0 मा0 न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में कार्य करेगी।
मा0 न्यायमूर्ति द्वारा सडक दुर्घटनाओं में हो रही मृत्यु के सम्बन्ध में अवगत कराया गया कि सड़क दुर्घटना में हो रही मृत्यु की संख्या में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर व उत्तर प्रदेश राज्य भारत देश में प्रथम स्थान पर है। सन् 2022 में जनपद कानपुर सड़क दुर्घटनाओं में प्रथम स्थान पर था, वर्तमान में कानपुर नगर में सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मृत्यु में कुछ कमी आयी है। मा0 न्यायमूर्ति द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि वैश्विक महामारी (कोविड-19) के समय से विगत दो वर्षो में जितनी मृत्यु इस महामारी से नहीं हुई, उससे कहीं अधिक सड़क दुर्घटना में हुई हैं। हर घण्टे सड़क दुर्घटनाओं में 300 से 400 लोगों की मृत्यु हो रही है। भारत में प्रति वर्ष लगभग 1.5 लाख से अधिक मृत्यु सड़क दुर्घटनाओं से हो रही हैं। उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष लगभग 22 हजार लोगों की मृत्यु सड़क दुर्घटना में व जनपद कानपुर में लगभग 1 हजार लोगों की मृत्यु हो रही है।
जिलाधिकारी द्वारा मा0 न्यायमूर्ति को अवगत कराया गया कि सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाये जाने हेतु जनपद स्तर पर प्रतिमाह जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक का आयोजन किया जाता है, जिसमें सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा कर सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी लाने हेतु रणनीति तैयार की जाती है।
अपर परिवहन आयुक्त (स0सु0) उत्तर प्रदेश द्वारा मा0 न्यायमूर्ति को सड़क सुरक्षा के दृष्टिगत अवगत कराया गया कि आने वाले समय में परिवहन विभाग में ड्राइविंग लाइसेंस आटोमेटिक टेस्टिंग व्यवस्था के तहत जारी होगा इसके लिए जनपदों में आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक की स्थापना के साथ ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल भी स्थापित किये जा रहे हैं। उक्त के क्रम में जनपद रायबरेली में ड्राइविंग ट्रेनिंग इन्स्टीट्यूट की शुरूआत हो गयी है जिसमें 72 चालकों के रहने एवं उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था है।
उप परिवहन आयुक्त महोदय द्वारा मा0 अध्यक्ष महोदय को निम्नवत् सुझाव भी दिया गया:-
1- परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा जिन वाहनों को विभिन्न अभियोग में बन्द किया जाता है उनके लिए थानों में पर्याप्त जगह न होने से वाहन को बन्द करने में अत्यधिक कठिनाई होती है जिससे प्रवर्तन कार्यवाही प्रभावी नहीं हो पाती है।
2- लाइसेंस धारक के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारण नहीं है।
3- यातायात से सम्बन्धित कोई भी एस0ओ0पी0 जारी होती है तो उसमें फील्ड के अधिकारियों का मन्तव्य अवश्य लिया जाये।
संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) कानपुर द्वारा अवगत कराया गया कि आई0टी0एम0ए0 द्वारा प्राप्त डाटा के आधार पर भी परिवहन विभाग द्वारा नियमानुसार चालान की कार्यवाही संपादित की जा रही है।
मा0 न्यायमूर्ति/अध्यक्ष, कमेटी ऑन रोड सेफ्टी द्वारा बैठक में उपस्थित सभी स्टेक होल्डर्स व बैठक में उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मृत्यु को कम किये जाने संबंधी अपने सुझाव लिखित रूप से कमेटी ऑन रोड सेफ्टी को उपलब्ध करायें जाये ताकि कमेटी ऑन रोड सेफ्टी के विशेषज्ञों से इसका परीक्षण कराकर नियमानुसार अग्रिम कार्यवाही की जा सके।
अन्त में मा0 न्यायमूर्ति, अध्यक्ष कमेटी ऑन रोड सेफ्टी द्वारा ट्रांसपोर्ट यूनियन के उपस्थित पदाधिकारियों से अपेक्षा की गयी कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के दृष्टिगत अपने स्तर से वाहन चालकों को शराब पीकर वाहन न चलाने, निर्धारित गति सीमा से ऊपर वाहन न चलाने, ओवरलोड न किये जाने, ट्रक पर किसी भी यात्रियों को अनावश्यक रूप से न बैठाए जाने हेतु आवश्यक कदम उठाने की अपील की। साथ ही साथ मा0 न्यायमूर्ति द्वारा यातायात विभाग व परिवहन विभाग के अधिकारियों को सड़क दुर्घटना को कम किये जाने के दृष्टिगत निम्न निर्देश दिये गये:-
1- कमेटी आॅन रोड सेफ्टी के सभी अभियोगों यथा-हेलमेट, सीटबेल्ट, ड्रंकन ड्राइविंग, ओवरस्पीड, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग, ओवरलोड इत्यादि अभियोगों में प्रभावी प्रवर्तन कार्यवाही की जाये।
2- वाहन चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस की जाॅच सख्ती से की जाय।
3- स्कूल व विद्यालय में आ रहे छात्रों/अध्यापकों इत्यादि लोगों द्वारा शत्-प्रतिशत वाहन चलाते समय हेलमेट व सीटबेल्ट का अनिवार्य रूप से प्रयोग कराया जाये।
4- ज्यादा से ज्यादा लोगों को सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित मानकों के प्रति जागरूक किया जाये।