अवैध संपत्ति और गठजोड़ का जाल — अखिलेश दुबे प्रकरण में डिप्टी एसपी ऋषिकांत शुक्ला निलंबित, 100 करोड़ की संपत्ति की जांच शुरू

कानपुर। चर्चित अखिलेश दुबे प्रकरण में एक और बड़ा झटका देते हुए शासन ने सोमवार को डिप्टी एसपी ऋषिकांत शुक्ला को निलंबित कर दिया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपराध जगत और आर्थिक अनियमितताओं से जुड़े अखिलेश दुबे के साथ मिलकर अवैध तरीके से करोड़ों की संपत्ति अर्जित की और कंस्ट्रक्शन कारोबार के माध्यम से काली कमाई को वैध बनाया। शासन ने विजिलेंस विभाग को शुक्ला की आय और संपत्तियों की गहन जांच के आदेश दिए हैं।

सूत्रों के अनुसार, विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच में यह खुलासा हुआ है कि ऋषिकांत शुक्ला ने अखिलेश दुबे के साथ मिलकर एक कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाई, जिसका सालाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से अधिक था। इस कंपनी के माध्यम से बड़े पैमाने पर अघोषित आय को वैध रूप देने का खेल रचा गया। जांच के दौरान एसआईटी ने डिप्टी एसपी शुक्ला की 12 संपत्तियों का पता लगाया है, जिनकी अनुमानित कीमत करीब ₹92 करोड़ बताई जा रही है। वहीं तीन अन्य संपत्तियों के कागजात और स्वामित्व के प्रमाण अब तक नहीं मिले हैं।

जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि इस कंपनी में ऋषिकांत शुक्ला की पत्नी प्रभा शुक्ला, सीओ विकास पांडेय का भाई प्रदीप पांडेय, संतोष सिंह के रिश्तेदार अशोक कुमार सिंह और स्वयं अखिलेश दुबे के परिजन साझेदार के रूप में जुड़े थे। आरोप है कि इस नेटवर्क के जरिए अवैध वसूली, कब्जों और भ्रष्टाचार से अर्जित धन को वैध व्यापार के रूप में दिखाया जाता था।

एसआईटी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि कानपुर में तैनाती के दौरान ऋषिकांत शुक्ला ने कई बार प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए झूठे मुकदमे दर्ज कराए और भूमाफियाओं से मिलीभगत कर अवैध वसूली की। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने अपने पद का इस्तेमाल कर प्रशासनिक तंत्र में दबाव बनाया और कुछ मामलों में सीधी हिस्सेदारी भी ली।

उधर, शासन ने मामले को गंभीर मानते हुए प्रमुख सचिव (सतर्कता) को आगे की कार्रवाई का निर्देश दिया है। विजिलेंस विभाग अब न केवल ऋषिकांत शुक्ला की संपत्ति और आय के स्रोतों की जांच करेगा, बल्कि यह भी पता लगाएगा कि किन अन्य अधिकारियों और कारोबारियों की इसमें भूमिका रही।

इससे पहले भी अखिलेश दुबे के करीबी माने जाने वाले इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी को निलंबित किया जा चुका है। वहीं, एसआईटी ने सीओ विकास पांडेय, संतोष सिंह, महेंद्र सोलंकी और कश्यप कांत दुबे को पूछताछ के लिए नोटिस भेजे थे, परंतु इनमें से कोई भी अधिकारी अब तक पेश नहीं हुआ। सूत्रों के अनुसार, इन सभी के खिलाफ भी शासन जल्द कठोर कदम उठा सकता है।

अधिकारियों के अनुसार, जांच के दौरान प्राप्त अभिलेखों से यह स्पष्ट है कि शुक्ला ने अपनी सरकारी आय से कई गुना अधिक संपत्ति अर्जित की है। कानपुर, लखनऊ, नोएडा और हरियाणा में उनके नाम और रिश्तेदारों के नाम पर भूखंड, फ्लैट, फार्महाउस और लग्जरी वाहनों की जानकारी सामने आई है। इनमें से कई संपत्तियों के दस्तावेज अधूरे या संदिग्ध पाए गए हैं।

विजिलेंस विभाग अब प्रत्येक संपत्ति के खरीद-फरोख्त के रिकॉर्ड, बैंक खातों, लेनदेन और कंपनियों से जुड़ी ऑडिट रिपोर्टों की जांच करेगा। शासन स्तर पर यह भी तय किया गया है कि यदि अवैध कमाई और भ्रष्टाचार के पर्याप्त प्रमाण मिले तो ऋषिकांत शुक्ला की संपत्तियों को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस विभाग में भी हड़कंप मचा हुआ है। वरिष्ठ अधिकारी पूरे नेटवर्क की परतें खोलने में जुटे हैं। सूत्रों के अनुसार, शासन ने साफ किया है कि भ्रष्टाचार, गठजोड़ और अवैध संपत्ति के मामलों में किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा।

कानपुर पुलिस और एसआईटी दोनों टीमें अब इस पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट शासन को भेजने की तैयारी कर रही हैं। प्रारंभिक जांच में सामने आए तथ्यों से यह संकेत मिल रहा है कि यह प्रकरण केवल एक अधिकारी या कारोबारी का नहीं, बल्कि सत्ता, धन और प्रभाव के गठजोड़ का जाल है, जिसकी जड़ें कई जिलों तक फैली हो सकती हैं।

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