मनीष गुप्ता
कानपुर।
भारत भर में हर वर्ष कार्तिक माह की चतुर्थी को करवाचौथ का पर्व बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए दिनभर निर्जल व्रत रखती हैं और शाम को चाँद की पूजा कर व्रत तोड़ती हैं।
करवा चौथ की यह परंपरा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास का प्रतीक भी है। आज कानपुर के विभिन्न हिस्सों में महिलाएँ पारंपरिक साड़ी, गहनों और मेहंदी के साथ सज-धज कर इस अवसर को विशेष रूप से मनाती दिखीं। मोतीझील, किदवई नगर नवीन मार्केट और नज़दीकी बाजारों में करवाचौथ की खरीदारी का माहौल देखने लायक था। शहर में महिलाएँ दिनभर निर्जल व्रत रखकर शाम को चाँद निकलने का बेसब्री से इंतजार करती हैं। इस दौरान कई जगह सामाजिक कार्यक्रम, मेहंदी प्रतियोगिता और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी आयोजित की गईं। कई दंपत्तियों ने इस अवसर को यादगार बनाने के लिए पारंपरिक गीतों और कथा वाचन का आयोजन भी किया। एक स्थानीय महिला, नेहा गुप्ता ने कहा, “करवा चौथ हमारे लिए सिर्फ व्रत नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभव है। यह हमारे रिश्ते में विश्वास और मजबूती लाता है। इस दिन का माहौल खासकर रात में और भी रंगीन हो जाता है, जब चाँद की पहली झलक के साथ महिलाएँ व्रत खोलती हैं। कानपुर के कई इलाकों में इस अवसर पर स्थानीय मंदिरों में विशेष पूजा और भजन संध्या का आयोजन किया गया।करवा चौथ न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में परंपरा और आधुनिकता का खूबसूरत संगम है। यह दिन प्रेम, श्रद्धा और त्याग का संदेश देता है, जो रिश्तों को और भी मजबूत बनाता है।
“श्रद्धा, प्रेम और चाँद की रौशनी में रंगी करवा चौथ की रात — कानपुर में परंपरा का उत्सव”
