कानपुर यू०पी० रोडवेज इम्पलाइज यूनियन केन्द्रीय प्रबन्ध समिति की एक अति महत्वपूर्ण बैठक आज दिनांक 20.12.2023 को यूनियन भवन रावतपुर, कानुपर पर प्रान्तीय उपाध्यक्ष पा0 शिवम त्रिपाठी
के सभापतित्व में सम्पन्न की गई, बैठक में प्रान्तीय अध्यक्ष द्वारा पूरे प्रदेश से आए यूनियन नेताओं को पूरे मनोयोग से सुना और उनकी समस्याओं पर गम्भीरतापूर्वक चिन्तन करते हुए कहा कि आज परिवहन निगम को खोखला करने की योजनाएँ दिन-प्रतिदिन शासन एवं निगम प्रशासन द्वारा तैयार की जा रही हैं वहीं कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है, जो बर्दाश्त योग्य नहीं है। कर्मचारियों की भावनानुसार आन्दोलन जरुरी हो गया है, कोई ठोस कदम उठाना आवश्यक है।
इस आम सभा को संगठन के प्रान्तीय महामन्त्री सत्यनारायन शर्मा ने संबोधित करते हुए बताया कि जबसे अंग्रेजी शासनकाल में रोडवेज विभाग स्थापित हुआ, उनके संगठन का उदय हुआ, के फलस्वरूप रोडवेज कर्मियों की पहचान ‘लोक सेवक’ के रूप में होती थी और स्वतन्त्रतापूर्वक निर्मित क्रमशः कर्मकार क्षतिपूर्ति अधिनियम 1923, ट्रेड यूनियन एक्ट 1926, पैमेन्ट ऑफ वैजेज एक्ट 1936 के साथ औद्योगिक नियोजन स्थाई आदेश अधिनियम-1946 के लाभ रोडवेजकमी पाते थे। भारत की स्वतन्त्रता प्राप्ति के उपरान्त निर्मित औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947, कारखाना अधिनियम 1948, ई०एस०आई० एक्ट 1948, ई०पी०एफ० एक्ट 1952, वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम 1962, बोनस भुगतान अधिनियम 1965, ठेका पृथा उन्मूलून तथा नियमन कानून 1970, ग्रेच्युटी एक्ट 1972, समान पारिश्रमिक वेतन भुगतान अधिनियम 1976, समयबद्ध वेतन भुगतान अधिनियम 1978 इत्यादि निर्मित श्रम कानून प्रचलित हुए, का लाभ भी कर्मचारी पाने के पात्र चले आते हैं। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के 2017 एल0आई0सी0 427 पर प्रकाशित निर्णय द्वारा यह सुस्पष्ट किया जा चुका है कि ‘समान काम का समान वेतन’ पाना प्रत्येक श्रमिक का संवैधानिक अधिकार है। यदि कोई मालिक अपने सेवक को वर्गभेद अथवा अन्य कारण से निर्धारित वेतन से कम वेतन देता पाया जाता है तो ऐसा करना दण्डनीय अपराध माना जाता है। ऐसी दशा में प्रभावित श्रमिक अवैध वेतन कटौती का 10 गुना क्षतिपूर्ति पाने का पात्र है। ऐसा नियोजक अनुचित श्रम अभ्यास अपनाने में लिप्त पाए जाने पर अन्य प्रकार के दण्ड भी पाने का पात्र माना गया है।
इस दौरान प्रान्तीय उपाध्यक्ष पं० शिवम त्रिपाठी ने बताया कि भारत की स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद सन् 1956 से 10 वर्षीय वेतनमानुसार मासिक देय वेतन दर क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, पंचम, षष्टम, सप्तम वेतनायोग 2016 के माध्यम से निर्धारित है. के समान प्रत्येक कर्मचारी वेतन पाने का पात्र है। इस स्तर पर यह भी ध्यान रखने योग्य है कि दि0 30.06.1972 से राजकीय रोडवेज को उ०प्र० राज्य सड़क परिवहन निगम बना देने से तथा उ०प्र० राज्य सड़क परिवहन निगम कर्मचारी सेवा नियमावली 1981 प्रभावी घोषित करने से वेतनदर ढांचा न तो परिवर्तित होता है न अस्तित्वधारी माना है इसीलिए लगभग 21000 सीधे नियोजित चले आ रहे श्रमिक को वेतनमानों द्वारा निर्देशित मासिक वेतन दरानुसार भुगतान दिया जाता है। लेकिन वर्ष 2001 में सेवारत् जिन 11000 संविदा श्रमिकों को नियमित करने तथा समान काम का समान वेतन देने की सहमति बनी उनको आज तक समान काम का समान वेतन न देना न केवल विश्वासघाती व्यवहार अपनाना दर्शाता है बल्कि प्रत्येक संविदा चालक /परिचालक के बकाया देय धन रु० 13200000/- का हड़पा जाना दर्शाता है। ऐसे संविदा/ठेका श्रमिकों की संख्या वृद्धि सहित वर्तमान में 55000 श्रमिक कार्यरत् हैं।
प्रान्तीय संगठन मन्त्री के०के० शर्मा ने कहा कि चूंकि निरंकुश महंगाई वृद्धि और कम देतन की आय, दो पाटों के बीच परिवहन निगमकर्मी की दशा हीन और निरंतर असहनीय होती जा रही है, से संकटमुक्त होने का अन्य कोई विकल्प शेष न रहने पर यूनियन द्वारा जो मांग पत्र दिनांक 01.11.2023 तथा 10.11.2023 को देकर प्रार्थना की थी कि संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए, ठेका पृथा समाप्त की जाए, समान काम का समान वेतन दिया जाए, श्रम कानूनों का पालन किया जाए, मृतक आश्रितों को नियमित नियुक्ति प्रदान की जाए, परिवर्तनीय महंगाई भत्ता शासन द्वारा घोषित देय तिथि से बिना भेदभाव के भुगतान किया जाए। परिवहन निगम को निजीकरण की ओर ले जानी वाली योजनाएँ बंद की जाएँ, लोड फैक्टर एवं डीजल औसत कम के नाम पर वेतन कटौती करना बंद किया जाए, कुशल तकनीकी श्रमिकों की नियुक्ति कर कार्यशालाओं को पूर्ण क्षमता से चलाया जाए, डग्गेमारी बस सेवा पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया जाए, समस्त प्रकार के भेदभाव समाप्त कर श्रमिकों को सामाजिक न्याय दिया जाए आदि में कोई मांग ऐसी नहीं है जो अनुचित, अन्यायपूर्ण दर्शित हो अथवा निरस्त करने योग्य हो। ऐसी दशा में निगमकर्मी भुखमरी का शिकार बन रहे हैं और राजनेता ऐशपरस्ती में लिप्त हैं, जो अब असनीय हो गया है। इसीलिए आवश्यक है कि ‘जीना है तो मरना सीखो-कदम, कदम पर लड़ना सीखो का आन्दोलनकारी मार्ग अपनाया जाए। मेरा प्रस्ताव है कि प्रथम चरण में ‘मांग दिवस’ द्वितीय दिवस में ‘धरना’ तृतीय चरण में ‘चक्का जाम’ कार्यवाही सम्पन्न की जाए।
सभाध्यक्ष ने सभी की भावनाओं को अंगीकार करते हुए निगम हित एवं कर्मचारी हित में निर्णय लिया कि जल्द ही उपरोक्त प्रस्तावित आन्दोलनात्मक कार्यवाही की जाएगी। ताकि श्रमिकों को न्याय मिल सके और निगम को बचाया जा सके। अन्त में सभा अध्यक्ष ने सभी को धन्यवाद देते हुए सभा का समापन किया।
बैठक में उपस्थित सर्व पं० शिवम त्रिपाठी, श्रीलाल तिवारी, के०के० शर्मा, रामकुमार शर्मा, रविशंकर शर्मा, अखिलेश दुबे, अनिल शुक्ला, राजेन्द्र कुमार, अशोक सँगर, राम किशोर तिवारी, रविन्द्र कुमार, राजकुमार गौतम, प्रमोद श्रीवास्तव, श्रीकृष्ण शुक्ला, सतीश चन्द शर्मा, रामनरायन, जगपाल सिंह यादव लोग उपस्थित रहे।