परिवहन के क्षेत्र में मनमानी तरीके से होता उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण

न्याय के लिए आवाज उठाने पर यात्रियों को बस से उतार दिया जाता है नीचे कार्रवाई के नाम पर जांच में ही टूटती फरियादी की आप दबाव में होता है सुला समझौता
उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण मात्रा बाजार में खरीदारी के दौरान ही नहीं होता बल्कि परिवहन के क्षेत्र में एक स्थान से दूसरे स्थान जाने या सामान ले जाने में भी होता है खास तौर से रोडवेज बसों की बात की जाए तो किलोमीटर के हिसाब से टिकट काटने के बजाय यात्री के स्टॉपेज तक का टिकट बनाकर अगले किसी निश्चित स्थान तक का टिकट कमाया जाता है यदि यात्री विरोध करता है तो उस दिन हो या रात बस से नीचे उतार दिया जाता है यदि इस आर्थिक शोषण या अपमान के खिलाफ यात्री अगर अपनी आवाज उठाता है तो कार्रवाई के नाम पर जांच शुरू हो जाती है और भूखत भोगियों को इतना दौड़ी जाता है कि उनकी सांस फूलने लगती है बाद में सुला समझौता का दबाव बनाया जाता है इससे न्याय पाने के लिए फरियादी की सारी ए से टूटने लगते हैं वहीं कानपुर झकरगति बस स्टॉप के पास कुछ यात्रियों से बात करने पर ज्ञात हुआ कि रोडवेज बस में सफर के दौरान यदि यात्रियों को कोटा पूरा हो जाता है तो रास्ते में यात्रियों को लेने के लिए चालक परिचालक द्वारा बस को रोक नहीं जाताहै टिकट लेने और टिकट की धनराशि लेते समय यदि यात्री के पास एक रुपए भी काम होता है तो उनको टिकट नहीं दिया जाता बल्कि इस समय उन्हें नीचे उतार दिया जाता है जबकि बकाया पैसे उसके टिकट के पीछे लिख दिए जाते हैं उसके बाद बकाया देने के लिए भी फुटकर पैसों की मांग की जाती है और दो-चार रुपए ना लौटना तो आम बात हो गई है यात्री अपनी यात्रा पूरी करने और स्टाफ पर उतरने के चक्कर में कभी-कभी पूरे पैसे भी मांगना भूल जाता है जो कि इन लोगों की जेब में चला जाता है कुछ यात्रियों ने यह भी बताया कि यात्री के पास अधिक समान होने पर भी बस परिचालक नहीं बैठाते थे है। अगर जो बैठे हैं वह सामान का अतिरिक्त पैसा लेते हैं लेकिन उसकी रसीद नहीं देते हैं कोई यात्री विरोध भी करता है तो उसकी बात सुनने के बजाय चालक परिचालक दोनों ही उसे पर अपना रोक काटते हैं और अधिक बात पड़ने पर भी उससे नीचे तक उतार देते हैं कहना रहा कि इसमें वह यात्री भी जिम्मेदार होते हैं जो न्याय के लिए पीड़ित यात्री का साथ नहीं दे रहे हैं।
उपभोक्ताओं को होनी चाहिए अपने अधिकारो विशेष जानकारी कमर तोड़ महंगाई में जीवन यापन करना आमजन के लिए अब सहज नहीं रह गया है इन सब के बीच उपभोक्ता जमाखोरी कालाबाजारी मिलावट अधिक दाम घटौरी जैसी ‌ समस्याओं से गिरा हुआ है ज्यादातर उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों की जानकारी तक नहीं है जिस कारण उन्हें ठगी का शिकार आए दिन होना पड़ता है उपभोक्ताओं से ठगी अधिकतर क्षेत्रों में होती है उसी में से एक क्षेत्र परिवहन का भी है भारत सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों को सुरक्षित करने के लिए तथा उनके अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कानून बनाया था सरकार ने उपभोक्ता के हितों के लिए जो अधिकार प्रदान किए हैं इसकी जानकारी हर व्यक्ति को जरूर से जरूर होनी चाहिए।

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