कानपुर।
45 वर्षीय मरीज़ को 4 महीने से कमर में दर्द की शिकायत थी । एम.आर.आई. की जाँच करने पर स्पाइन की सबसे नीचे की डिस्क बाहर निकल कर नसों को दबा रही थी । सामान्यतः इसके ऑपरेशन में पीठ में २-३ इंच का चीरा लगता है, और मरीज़ को कई दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ता है ।
अब एंडोस्कोप के द्वारा इस प्रकार की जटिल सर्जरी मरीज़ों के लिए बहुत ही आसान हो रही है ।
इंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जरी में एक सेंटीमीटर से कम के चीरे के द्वारा रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन संभव है ।
इस विधि से मांसपेशियों एवं हड्डियों को भी काटना नहीं पड़ता है ,उनको फैलाकर ही दूरबीन को अन्दर तक ले जाते हैं।जिससे ऑपरेशन के दौरान रक्तस्राव भी बहुत कम होता है ।
मरीज़ को ऑपरेशन के तुरंत बाद चलाया जा सकता है एवं १-२ दिनों में ही अस्पताल से छुट्टी की जा सकती है । जिन मरीज़ों को हृदय की समस्याओं की वजह से बेहोशी के ख़तरे ज़्यादा होते हैं, उनमें बिना बेहोश किए भी लोकल एनेस्थीसिया में इंडोस्कोपिक सर्जरी की जा सकती है ।
ऑपरेशन के बाद दर्द की दवाइयों की भी कम ज़रूरत पड़ती है और मरीज़ जल्द ही अपने काम पर वापस जा सकता है ।
हैलेट में न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ अमित गुप्ता ने इस ऑपरेशन को सफलता पूर्वक किया , उनके साथ टीम में डॉ. अनुराग , डॉ. प्रीतेश, एवं डॉ. प्रवीण भी थे । एनेस्थीसिया की टीम में डॉ अनिल वर्मा थे ।
प्रधानाचार्य डॉ. संजय काला ने इस पूरी टीम को बधाई दी और बताया कि अब आयुष्मान कार्ड धारक एवं सामान्य जनता भी हैलेट अस्पताल में इस प्रकार की नवीनतम सर्जरी की सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं । इसके लिए अब उनको शहर से बाहर नहीं जाना होगा ।
इंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जरी से अधिक सटीकता और सुरक्षित तरीक़े से रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन किए जा सकते हैं ।
जिन मरीज़ो को डाइबेटीज़ , मोटापे , ह्दय की बीमारियों की वजह से बेहोशी के ख़तरे ज़्यादा होते हैं , उनके लिए यह तकनीक एक वरदान है । इंडोस्कोपिक स्पाइन विधि दर्द से पीड़ित उन रोगियों के लिए एक उत्कृष्ट समाधान है जो एक सक्रिय जीवन शैली में तेज़ी से वापसी चाहते हैं । खिलाड़ियों , प्रोफेशनल कर्मी जैसे सुरक्षाकर्मी , पायलट , मॉडलिंग में जुड़े व्यक्तियों एवं सीनियर सिटीज़न के लिए यह विधि अत्यंत उपयोगी है । रीढ़ की हड्डी की टी. बी. में एंडोस्कोप के द्वारा नसों के ऊपर से पस को निकाल कर दबाव कम किया जा सकता है जिससे आगे के इलाज में आसानी होती है । समय के साथ साथ स्पाइन एवं दिमाग़ की अन्य बीमारियों में भी एंडोस्कोप का उपयोग बढ़ रहा है ।