फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य ने सुनाई अपनी आप-बीती, सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर जनप्रतिनिधियों ने किया अभियान का आगाज़
कानपुर-जिले में लाइलाज बीमारी फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान शनिवार से शुरू हुआ, जो कि दो सितम्बर तक चलेगा अभियान की शुरूआत अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण कानपुर मंडल, कानपुर (एडी हेल्थ) डॉ. संजू अग्रवाल और मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ आलोक रंजन ने कांशीराम जिला संयुक्त चिकित्सालय एवं ट्रामा सेंटर में दवा का सेवन करके अभियान का शुभारंभ किया आशा कार्यकर्ता व स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाएंगे और अपने सामने ही दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराएंगे गर्भवती और अति गंभीर बीमार को दवा का सेवन नहीं करना है एक से दो वर्ष तक के बच्चों को सिर्फ पेट के कीड़े निकालने की दवा खिलाई जाएगी, एडी हेल्थ ने जनपद वासियों से अपील की है कि वह खुद दवा का सेवन करें और आस-पास के लोगों को दवा सेवन के लिए प्रेरित करें दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही दवा खानी है तीन साल में तीन बार यानी साल में एक बार इस दवा का सेवन कर लेने से फाइलेरिया (हाथीपांव व हाइड्रोसील) से बचाव होगा उन्होंने फाइलेरिया उन्मूलन की शपथ दिलाई और अभियान के समर्थन में हस्ताक्षर भी किया
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ आलोक रंजन ने बताया कि जिले की करीब 32 लाख की आबादी को दवा का सेवन कराया जाएगा दवा के निर्धारित डोज का सेवन आशा कार्यकर्ता या स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही करना है अगर टीम पहुंचने पर घर का कोई सदस्य उपस्थित नहीं है तो वह आशा कार्यकर्ता के घर जाकर उनके सामने ही दवा का सेवन करें फाइलेरिया से बचाव की दवा शरीर में इसके परजीवियों को मारती है जिसके प्रतिक्रिया स्वरूप कभी कभी सिर दर्द, शरीर दर्द, बुखार, उल्टी और बदन पर चकत्ते जैसे लक्षण सामने आते हैं यह लक्षण स्वत: ठीक हो जाते हैं और जिनमें यह लक्षण आ रहे हैं उन्हें खुश होना चाहिए कि वह फाइलेरिया से मुक्त हो रहे हैं जरूरी समझने पर आशा कार्यकर्ता की मदद से रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र की सेवाएं ले सकते हैं
जिला मलेरिया अधिकारी अरुण कुमार सिंह ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी विश्व में दीर्घकालिक दिव्यांगता का दूसरा प्रमुख कारण है एक बार हाथीपांव या हाइड्रोसील हो जाने पर उसे सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है, पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता दवा सेवन ही श्रेष्ठ उपाय है
फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य ने सुनाई अपनी आप-बीती : कार्यक्रम में ब्लॉक कल्याणपुर में बने फाइलेरिया नेटवर्क के सक्रीय सदस्य महेंद्र सिंह ने भी इसके बाबत लोगों को जागरूक किया जिससे इस उपेक्षित बीमारी के मरीजों को भी स्वर मिला उन्होंने बताया कि करीब 10-12 साल पहले वह फाइलेरिया से ग्रसित हुए थे उन्हें फाइलेरिया हुआ तो वह भी इस बीमारी से अपरिचित थे जब उन्होंने बीमारी के बारे में बताया तो उनके जानने वाले लोगों ने तरह तरह की जड़ी बूटी और गैर वैज्ञानिक उपायों से यह बीमारी ठीक होने की सलाह दी वह लोगों की सलाह पर भटकते रहे बीमारी के कारण उन्हें सामाजिक उपेक्षा और भेदभाव भी झेलना पड़ा लोगों को यह लगता था कि उनके पैर के पानी से उन्हें भी संक्रमण हो जाएगा वह हीन भावना का शिकार होने लगे वह शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर होने लगे इसी बीच उनके गांव में स्वास्थ्य विभाग द्वारा सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च संस्था के सहयोग से फाइलेरिया रोगी नेटवर्क का गठन किया गया और नियमित बैठकें होने लगीं महेंद्र भी इसमें भाग लेने लगें और विशेषज्ञों से बीमारी के बारे में कई प्रमुख जानकारी ली और देखभाल के तरीके सीखे इससे उनके मन में सकारात्मकता का संचार हुआ व्यायाम और फाइलेरिया प्रभावित अंग की देखभाल से उन्हें आराम मिला है और वह आज दूसरे लोगों को इस बीमारी के प्रति व्याप्त भ्रांतियों के बारे में जागरूक कर रहे हैं इस अवसर पर वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डॉ आरपी मिश्रा, एसीएमओ आरसीएच डॉ रमित रस्तोगी सहित सभी एसीएमओ व डिप्टी सीएमओ, चिकित्सालय के सीएमएस, वरिष्ठ परामर्शदाता, एएमओ, सभी मलेरिया इंस्पेक्टर समेत सहयोगी संगठनों जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन, सीफार, पीसीआई और एफएचआई के प्रतिनिधि प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।