कानपुर-वट सावित्री अमावस्या के पर्व पर महिलाओं ने उत्साह के साथ सोलह श्रंगार कर वट वृक्ष का पूजन कर पति की लंबी आयु की कामना की कानपुर के नरवल में हर बरगद के पेड़ों के नीचे खासी भीड़ रही प्रत्येक साल ज्येष्ठ मास के अमावस्या तिथि को वट सावित्री पर्व मनाया जाता है गुरुवार की भोर से ही महिलाएं पूजा पाठ की सामग्री बनाने में जुट गईं पारंपरिक श्रृंगार के साथ सुहागिन महिलाओं ने बांस की बनी डलिया में पूजन-सामग्री लेकर टोलियों के रूप में बरगद के नीचे पहुंचकर विधि-विधान के साथ पूजा की वट वृक्ष के तने पर कच्चे सूत का धागा बांधकर परिक्रमा की और घर पर बनाए गए पकवान अर्पित किए महिला भक्तों ने बताया कि पुराणों के अनुसार बताया जाता है कि सत्यवान अल्पायु के थे फिर भी सावित्री ने विवाह कर लिया एक दिन लकड़ी काटते समय सत्यवान की मृत्यु हो गई यमराज सत्यवान के प्राण लेने के बाद अपने लोक को चल पड़े सावित्री भी उनके पीछे चल पड़ी जब यमराज ने देखा कि सावित्री भी चली आ रही है तो उसे लौटने को कहा साथ ही पुत्रवती होने का आशीर्वाद दे डाला तब सावित्री ने कहा कि आपके आशीर्वाद की पूर्ति कैसे होगी जब हमारे पति को आप ले जा रहे हैं आज ही के दिन सावित्री ने बरगद के पेड़ के नीचे अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज को शास्त्रगत सवालों से प्रसन्न कर वापस प्राप्त की थी।