हीट स्ट्रोक, हीट रैश व हीट वेव जानलेवा, बचाव ही इसका उपचार : अपर निदेशक

कानपुर मंडल के सभी चिकित्सालयों में हीट वेव के उपचार की पूर्ण व्यवस्था : डॉ संजू अग्रवाल

कुल 07 मेडिकल कॉलेज, 10 जिला चिकित्सालयों सहित सभी स्वास्थ्य केंद्र हाई अलर्ट पर : डॉ संजू अग्रवाल

कानपुर-इन दिनों गर्म हवा (लू) के प्रकोप व हीट स्ट्रोक (तापघात) से बचाव के लिए कानपुर मंडल के सभी जिला व ब्लॉक स्तरीय चिकित्सालयों की चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण कानपुर मंडल की अपर निदेशक डॉ संजू अग्रवाल लगातार समीक्षा कर रहीं हैं उनका कहना है इस मौसम में बच्चों से लेकर वृद्धजन को बेहोशी, मांसपेशियों में जकड़न, मिर्गी दौरा पड़ना, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, अधिक पसीना आना, कमजोरी, चक्कर आना, सांस व दिल की धड़कन तेज होना, मिचली और उल्टी आना, नींद पूरी न होना आदि परेशानी हो सकती है इससे बचाव के लिए प्राथमिक उपचार बेहद जरूरी है अपर निदेशक का कहना है कि गर्मी के बीच यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्राभावित करता है पाचन और त्वचा संबंधी समस्याओं के साथ ही मौसमी फ्लू और संक्रमण का भी खतरा बना रहता है यहां तक की अस्पतालों में कई तरह की बीमारियों से पीड़ित रोगियों की तादाद का क्रम भी बढ़ने लगा है। तब स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है प्रचंड गर्मी के प्रभाव और इसके कारण उत्पन्न होने वाले रोगों के प्रबंधन व प्रभावी तैयारियों के लिए कानपुर मंडल के सभी जिला व ब्लॉक स्तरीय चिकित्सालयों को निर्देशित किया गया है कि हीट स्ट्रोक, हीट रैश, हीट क्रैम्प और हीट वेव से होने वाली समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए समस्त व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें ।

अपर निदेशक ने जनपदवासियों से अपील की है कि गर्मी के इस मौसम में हीट स्ट्रोक, डायरिया, उल्टी, पीलिया, टाइफाइड, वायरल फीवर, आँखो का लाल होना, त्वचा में जलन होना आदि तरह के बीमारियां होती है इसका प्रतिकूल प्रभाव शरीर पर पड़ता है जो कभी-कभी जानलेवा भी साबित हो सकता है गर्म हवाओं या लू के प्रभाव के कारण शारीरिक कठिनाईयों से बचने के लिए जनहित में लोगों से अपील की है कि थोड़ी सी सावधानी को अपना कर इससे बचाव किया जा सकता है किसी भी व्यक्ति में घमौरियाँ, मरोड़ व ऐंठन के मुख्य लक्षणों में शरीर में कमजोरी होना, चक्कर आना, सिर में तेज दर्द, उबकाई का आना, कभी कभी मूर्छा आना प्रमुख लक्षण नजर आए तो शीघ्र ही नजदीक के चिकित्सालय व स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सकों एवं विशेषज्ञों की सलाह लेकर उपचार कराएं उन्होंने बताया कि गर्म हवा और तेज धूप से जन-हानि भी हो सकती है उनका कहना है कि कानपुर मंडल में कुल 07 मेडिकल कॉलेज, 10 जिला चिकित्सालयों सहित 66 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 314 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 1495 सब सेंटर पर ओआरएस सेंटर बनायें गये हैं इसके अलावा हीट स्ट्रोक व इससे होने वाली अन्य बिमारियों के लिए इंतज़ाम पूरे है पिछले कुछ दिनों से तापमान अत्यधिक बढ़ रहा है इसके असर को कम करने के लिए और लू से होने वाली मौत की रोकथाम के लिए कई सावधानियां बताई गईं हैं जो इस प्रकार हैं, तेज धूप और गर्म हवा से बचें बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलें,जितनी बार हो सके पानी पियें, प्यास न लगे तो भी पानी पियें, हल्के रंग के ढीले- ढीले सूती कपड़े पहनें, धूप से बचने के लिए गमछा, टोपी, छाता, धूप का चश्मा, जूते और चप्पल का इस्तेमाल करें, सफर में अपने साथ पानी रखें, शराब, चाय, कॉफी जैसे पेय पदार्थों का इस्तेमाल न करें यह शरीर को निर्जलित कर सकते हैं, अगर आपका काम बाहर का है तो टोपी, गमछा या छाते का इस्तेमाल जरूर करें और गीले कपड़े को अपने चेहरे, सिर और गर्दन पर रखें, घर में बना पेय पदार्थ जैसे कि लस्सी, नमक चीनी का घोल, नींबू पानी, छाछ, आम पना इत्यादि का सेवन करें, अपने घर को ठंडा रखें, पर्दे, शटर आदि का इस्तेमाल करे रात में खिड़किया खुली रखें, ढीले कपड़े का उपयोग करें ठंडे पानी से बार-बार नहाएं, अगर आपकी तबियत ठीक न लगे या चक्कर आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें

क्या करें, क्या न करें : धूप में खड़े वाहनों में बच्चों एवं वृद्धजनों को न छोड़े, खाना बनाते समय कमरे के दरवाजे के खिड़की एवं दरवाजे खुले रखें जिससे हवा का आना जाना बना रहे, नशीले पदार्थ, शराब तथा अल्कोहल के सेवन से बचे, उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से बचें बासी भोजन न करें, खिड़की को रिफ्लेक्टर जैसे एल्युमीनियम पन्नी, गत्ते इत्यादि से ढक कर रखें. ताकि बाहर की गर्मी को अन्दर आने से रोका जा सके, उन खिड़कियों व दरवाजों पर जिनसे दोपहर के समय गर्म हवाएं आती है. काले पर्दे लगाकर रखना चाहिए, स्थानीय मौसम के पूर्वनुमान को सुनें और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के प्रति सतर्क रहें, आपत स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण लें, जहां तक संभव हो घर मे ही रहें तथा सूर्य के सम्पर्क से बचें, संतुलित, हल्का व नियमित भोजन करें, घर से बाहर अपने शरीर व सिर को कपड़े या टोपी से ढककर रखें।

प्राथमिक उपचार : व्यक्ति को ठंडे एवं छायादार स्थान पर ले जाएं एबुलेंस को फोन करें (108) एवं नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएं, व्यक्ति को पैर ऊपर रखकर सुलाएं, अगर बेहोश न हो तो ठंडा पानी पिलाएं, जितना हो सके कपड़े शरीर से निकाल दें, शरीर के ऊपर पानी से स्प्रे करें, ओआरएस का घोल पिलाएं, गीले कपड़े या स्पंज रखें, पंखे से शरीर पर हवा डालें

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