कानपुर ।
किसी भी प्रकार के पेट रोगों से मुक्ति के लिए कब्ज (कांस्टीपेशन), अपच (इनडाइजेशन), एवं मंदाग्नि (लेक आफ एपेटाइट) से छुटकारा सबसे प्रथम जरूरी है। कब्ज से मुक्ति के लिए भोजन में पर्याप्त चोकर युक्त रोटी, छिलका युक्त दालें तथा अधिक मात्रा में हरी सब्जियां एवं सलाद होना चाहिए। अपच से बचने के लिए खरी भूख में खाना और भरपेट न खाकर थोड़ा पेट खाली रखना होगा। मंदाग्नि अर्थात् भूख न लगना या. कम लगना में खरी भूख न लगने तक सब्जियों का सूप या गरम पानी में नींबू का रस तथा उसमें शक्ति के लिए शहद या गुड़ का सेवन करते रहना चाहिए। और शीघ्र लाभ के लिए भोजन के चबाने में पर्याप्त समय देना होगा। इससे शौचालय में भी समय कम से कम लगेगा। विशेष कष्ट में नाभि के नीचे पेडू में ठंडे पानी की पट्टी 10-15 मिनट रखने से बहुत लाभ होता है। अति विशेष कष्ट में एनिमा या बस्ति के द्वारा आंतों की सफाई एवं धुलाई एक अच्छी क्रिया है। वायु विकार (गैस ट्रबुल) से बचने के लिए जहां कब्ज से मुक्ति अनिवार्य है वहीं पूरे शरीर में फैल गई वायु को भोजन के बाद कच्ची छोटी हरड़ चूसना तथा वज्रासन में बैठना बहुत लाभकारी सिद्ध होगा। जो लोग वज्रासन में नही बैठ सकते उन्हें बीरवल की लोट लाभकारी होगी। मंदाग्नि या भूख न लगना अथवा कम लगना के लिए प्रातः नास्ते में केवल सब्जियों का जूस या सूप, दोपहर में मौसम के और स्थानीय फलों का सेवन तथा तीसरे पहर पुनः जूस या सूप और रात्रि में पर्याप्त सादी रीति से बनायी हरी सब्जियों का सेवन रामबाण होगा। एवं मल-मूत्र के वेग की सूचना आने पर न कभी टालें
और कभी ना रोक हां पेट रोगों से बचने के लिए दिन में 90 गिलास पानी भी अवश्य पीना चाहिए श्री पूर्ण चंद्र धर्मात परामर्श केंद्र तिलक नगर में मुस्कुराए कानपुर के तत्वाधान में देव अंतर्राष्ट्रीय योग केंद्र के संचालक योगाचार्य वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ ओमप्रकाश आनंद ने आयोजित संगोष्ठी पेट रोगों की प्राकृतिक चिकित्सा में उपयुक्त अपने अनुभव बताएं गोष्ठी में उपस्थित रेकी आचार्य पूनम रानी ने उपर्युक्त कब्ज अपच एवं मंदाग्नि नई दूर करने के उपाय पर अपनी सहमति प्रकट की गोष्ठी में नगर की अनेक गण लोगों ने अपनी शंकाओं का निवारण किया।
पेट के रोगों की प्राकृतिक चिकित्सा के सफल प्रयोग
