मोदीजी का न खाऊगां – न खाने दूंगा। मोदी जी का दिखावटी व झूठा जुमला

कानपुर

इलेक्टोरल बांड आजाद भारत का सबसे बड़ा चुनावी चंदा घोटाला
धमकी दो चंदा लो – चंदा दो धंधा

मोदीजी का न खाऊगां – न खाने दूंगा। मोदी जी का दिखावटी व झूठा जुमला
सरकार ने अपनी भ्रष्ट नीतियो से भारत का आर्थिक माहौल खराब किया
आज 22 मार्च 2024 को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर प्रदेश व्यापी प्रेसवार्ता मे शहर कांग्रेस कमेटी कानपुर के अध्यक्ष नौशाद आलम मंसूरी द्वारा कहा गया कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा 02 जनवरी 2018 को अधिसूचित इलेक्टोरल बांड योजना आजाद भारत में चुनावी चंदे की सबसे बड़ी भ्रष्ट योजना बन गई है। भाजपा द्वारा सफेद तरीके से काला धन एकत्र करने की एक अपारदर्शी योजना बनाई गई। जो सरकारी शक्ति के दुरूपयोग का एक नायाब नमूना बन गई है। 15 फरवरी 2024 को सर्वोच्च न्यायालय के पांच न्यायमूर्तियों की एक पीठ ने इस योजना को एक मत से असंवैधानिक करार देते हुए खारिज कर दिया।
उन्होने कहा कि कांग्रेस पार्टी शुरु से ही इस चंदे के काले धंधे का विरोध किया था और सिर्फ अपने फायदे के लिए चुनाव चंदे मे भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिये ला रही है सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस योजना को खारिज करने के बाद कांग्रेस पार्टी का मत सत्य शाबित हुआ। यही नही मोदी सरकार एसबीआई को कोर्ट के आदेश के बाद भी इलेक्टोरल बाण्ड से सम्बन्धित सूचना को सांझा करने से रोक रही थी लेकिन कोर्ट के दबाव और कढ़े रुख के कारण एसबीआई को इलेक्टोरल बाण्ड से जुडी जानकारी को सांझा करना पड़ा। जिसमे भाजपा की कई भ्रष्ट नीतियां उजागर हुई। जैसे – ‘‘चंदा दो धंधा लो, हफ्ता वसूली, रिश्वत लेने का नया तरीका तथा फर्जी कंपनियों के माध्यम से चंदा वसूली‘‘।
श्री मंसूरी ने कहा कि इन्फ्रास्टैक्चर से जुड़ी कई कंपनियों ने भारी मात्रा में चंदा दिया और उसके बाद उन्हें प्रोजेक्टस मिले। उदाहरण के तौर पर मेधा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रा ने अप्रैल 2023 में, 140 करोड़ डोनेट किया और ठीक एक महीने बाद, उन्हें 14,400 करोड़ रुपए की ठाणे-बोरीवली ट्विन टनल प्रोजेक्ट मिल गया। तथ्यात्मक बात यह है कि ऐसी कम्पनियों को बाण्ड दान के तुरंत बाद सरकार के माध्यम से भारी लाभ हुआ। हफ्ता वसूली नीति यह है कि ईडी/सीबीआई/आईटी के माध्यम से किसी कंपनी पर छापा मारो और फिर उसकी सुरक्षा के लिए दान मांगो। इस प्रकार मोदी सरकार ने संवैधानिक संस्थाओ का दुरुपयोग कर चंदा एकत्रित किया है। ऐसी कंपनियो से भी हफ्ता वसूली हुई जिनके प्रोजेक्ट मे घटिया निर्माण सामग्री इस्तेमाल होने के कई मामले सामने आये है। गुजरात के मोरबी का झूला ब्रिज इसका उदाहरण है जिसके टूटने से सैकड़ो लोगो की मृत्यु हो गई। अब सवाल उठता है कि क्या चुनावी बाण्ड दान कर घटिया निर्माण सामग्री के इस्तेमाल से देशवासियो की जान जोखिम मे डाली गई उसी प्रकार फार्मा कंपनियों द्वारा चुनावी बाण्ड देकर अधोमानक खराब दवाईयो को बनाने और निर्यात करने की अनुमति दी गई। श्री मंसूरी ने कहा ऐसा लगता है कि केन्द्र की भाजपा कुछ मदद मिलने के तुरंत बाद कंपनी उन्हे चुनावी बाण्ड के माध्यम से उसका ऐहसान चुकाया है या सरकार ने उद्योगपतियो ंऔर व्यापारियों मे डर पैदा करके चंदा एकत्र किया है। उक्त इलेक्टोरल बाण्ड योजना आने के बाद से देखने मे आया है कि बहुत सारी फर्जी कंपनियों का पंजीकरण केवल और केवल भाजपा सरकार को चुनावी चंदा देने के लिए कराया गया है। इससे प्रश्न उठता है कि क्या सरकार ने कुछ खांस उद्योगपति घरानो को नाजायज लाभ दिया और सरकार ने अपनी भ्रष्ट नीतियों से भारत का आर्थिक माहौल खराब किया है।
श्री मंसूरी ने कहा कि क्विक सप्लाई चेन लिमिटेड की मालियत 130 करोड़ है इस कंपनी ने 430 करोड़ रुपये चुनावी चंदा दिया। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली स्थित हब पावर नामक कंपनी ने चुनावी बाण्ड के माध्यम से 95 लाख का चंदा दिया। वर्ष 2018के बाद कम से कम 43 ऐसी कंपनिया स्थापित हुई जिन्होने अपनी स्थापना के कुछ ही महीनो के भीतर इलेक्टोरल बाण्ड खरीदे और कई ऐसी कंपनिया है जिन्होने अपनी शेयर वैल्यू से कई गुना अधिक चंदा दिया।
श्री मंसूरी ने यह भी कहा कि केन्द्र व प्रदेश पर आरुढ़ मौजूदा भाजपा सरकार देश की जनता को धोखा दिया है मोदी जी ना खाऊंगा ना खाने दूंगा, की दोमुही बाते है असल में मोदी राज में भाजपा ने 10 सालों में खूब खाया और अपने लोगों को खिलाया। इलेक्टोरल बांड घोटाले के बाद भाजपा पूरी तरह से बेनकाब हो चुकी है, इनके चेहरों पर चढ़ा मुखौटा उतर गया है और साथ यह सिद्ध हो गया है आजाद भारत की यह सबसे भ्रष्ट सरकार साबित हुई है। जनता अब इन्हें वोट की चोट से सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने का काम करेगी।
प्रेसवार्ता मे उपाघ्यक्ष उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी संजीव दरियाबादी, आलोक मिश्रा, मदन मोहन शुक्ला, दिलीप शुक्ला,पदम मोहन मिश्र, कृष्णमणिदेव सिंह, आरके जगत, लल्लन अवस्थी, मदन गोपाल राखरा, राजेश गौतम, वीरेन्द्र चतुर्वेदी, सैमुअल सिंह लकी, रोशनी चैधरी, वीके सिंह, उमाशंकर सिंह, राजू चंदेल, रविआनंद भारती, मोनू शुक्ला, अभय दीक्षित, शकील मंसूरी, आतिफ रहमान, छेदीलाल, मुकेश बाल्मीकी, मो0 यूनुस, आजाद बौद्ध, मो0 लईक, राधेश्याम सिंह, बृजलाल शर्मा आदि ने भाग लिया।

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