अनौपचारिकसंस्कृतशिक्षण केन्द्र के सत्र का उद्घाटन,

कानपुर
केन्द्रीयसंस्कृतविश्वविद्यालय नव देहली द्वारा संचालित अनौपचारिकसंस्कृतशिक्षण केन्द्र के सत्र का उद्घाटन, प्रमाणपत्र-पुरस्कारवितरण‌ एवं मनुष्यजीवन, में यज्ञों का प्रभाव इस विषय पर व्याख्यान का भी आयोजन दयानन्द महिला पी जी महाविद्यालय‌ कानपुर में सम्पन्न हुआ।अनौपचारिकशिक्षिका डा. प्रियङ्का सिंह ने कार्यक्रम का संचालन संस्कृत में सुव्यवस्थित ढंग से की। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि तथा मुख्यवक्तृ प्रो. शोभा महोदय थी जो V.S.S.D महाविद्यालय कानपुर की संस्कृतविभाग की शिक्षिका हैं। तथा सारस्वत अतिथि के रूप में संस्कृत भारती कानपुर महानगरमन्त्री तथा ज्योतिषवेत्ता नरेन्द्र शास्त्री जी थे एवं मञ्च पर प्राचार्या महोदया चीफ प्राक्टर प्रो. अर्चना श्रीवास्तव, प्रो.वन्दना निगम , प्रो. आशा रानी महोदया एवं कृष्णेन्द्र महोदय आप सभी मञ्च की शोभा को बढ़ाएं। इस कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक मङ्गलाचरण से हुआ जिसे पण्डित ऋषभ महोदय ने किया। दीपकमन्त्र अनौपचारिक डिप्लोमा छात्रा स्मृति ने की। तथा तुलसी जल देते हुए तुलसी मन्त्र डॉ. प्रियंका सिंह ने की। इसके अनन्तर सरस्वती वन्दना सुकृति भगिनी तथा आस्था शुक्ला ने की। स्वागत एवं मञ्चस्थ अतिथियों का परिचय अनौपचारिक केन्द्राधिकारी , संस्कृतविभागध्यक्ष प्रो. आशा रानी महोदया ने की । मुख्यातिथि‌ प्रो. शोभा मिश्रा महोदया का स्वागत प्राचार्या अर्चना वर्मा महोदया ने की । एवं ‌मञ्चस्थ सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। स्वागत नृत्य पुरातनी अनौपचारिक छात्रा हर्षिता शुक्ला ने की , जो सभी मञ्चस्थ अतिथियों तथा श्रोताओं के मन को आनन्दित कर दी। इसके अनन्तर प्राचार्या महोदया द्वारा मुख्यातिथि सारस्वतातिथि का वाचिक स्वागत और इस कार्यक्रम के विषय का शुभारम्भ ‌अपने वाणी से की।‌ अनौपचारिक शिक्षिका डॉ. प्रियंका सिंह ने अनौपचारिकसंस्कृतशिक्षण केन्द्र तथा केन्द्रीयसंस्कृत विश्वविद्यालय नव देहली द्वारा संचालित इस अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण के विषय में बताया कि पूरे भारत में प्रायः 120‌ केन्द्र तथा 6000 छात्र इस पाठ्यक्रम को कर रहे हैं। अनौपचारिकशिक्षण की छात्रा प्रिया राय ने अनुभव कथन भी संस्कृतभाषा में ही की। 2023-2024 सत्र हेतु केन्द्रीयसंस्कृतविश्वविद्यालय तथा हमारे महाविद्यालय इन दोनों के बीच में MOU हुआ था जिसे संस्कृत‌विभाग की विभागाध्यक्ष और डॉ. प्रियंका सिंह के द्वारा प्राचार्या जी को दिया गया। इसके पश्चात् 2022 – 23 सत्र के सर्टिफिकेट अर्थात् संस्कृतभाषा प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम के अधिक अङ्क प्राप्त करने वाले प्रथम तीन छात्राओं को प्रमाणपत्र एवं पुरस्कार भी मञ्चस्थ अतिथियों द्वारा‌ दिया गया। (निधि, स्मृति गुप्ता, तथा प्रिया राय )
डिप्लोमा पाठ्यक्रम अर्थात् संस्कृतभाषा दक्षता पाठ्यक्रम के अन्तर्गत अधिक अङ्क प्राप्त करने वाली दो छात्राएं ‌उपस्थित थी । अतः उन दोनों छात्राओं को भी पुरस्कृत किया गया ( ममता पाण्डेय )
इस महाविद्यालय की पांच शिक्षिकाओं ने भी प्रमाणपत्र लिया तथा अन्य छात्रों ने भी आकर के अपने प्रमाण पत्र को प्राप्त किया अतः इन सभी छात्राओं को हम सभी के तरफ से महाविद्यालय की तरफ से हार्दिक बधाइयां एवं शुभकामनाएं। कार्यक्रम की मुख्यातिथि और मुख्यवक्तृ प्रोफेसर शोभा मिश्रा महोदया मानव जीवन पर यज्ञों का प्रभाव इस विषय पर अत्यन्त रोचक, ज्ञानवर्धक, जीवनोपयोगी व्याख्यान को प्रस्तुत किया जिससे सभी श्रोता मन्त्रमुग्ध हो गए थे और अच्छे से व्याख्यान का आनन्द भी लिए इन्होंने कहा की यज्ञ हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है जिसे हमें इसे नित्य करना चाहिए यदि नित्य ना हो सके तो प्रत्येक महीने में एक बार तो अवश्य करें , और कैसे यज्ञ करें ? मन्त्र को पढ़ते हैं तो उसको किस लिए पढ़ते हैं? क्या हम मांगते हैं क्या कहते हैं किस-किस ‌की स्तुति करते हैं कौन मन्त्र पढ़ते हैं? इस की जानकारी विस्तृत रूप से हम सभी को दी। इसी क्रम में नरेन्द्र शास्त्री महोदय ने भी अपने विचार को प्रस्तुत किया इन्होंने कहा की यज्ञ लोहे के पात्र में नहीं करनी चाहिए तथा नीचे गिरे हवन सामग्री को यज्ञ कुण्ड में नहीं डालना चाहिए वह एक कीट है उसके लिए होता है क्योंकि उसे आशीर्वाद प्राप्त हुआ था। यज्ञ नित्य करते रहना चाहिए, क्योंकि इसके धूम हमारे शरीर को स्वस्थ रखते हैं। दशरथ द्वारा जो पुत्रेष्टि यज्ञ और जनमेजय द्वारा नागयज्ञ किया गया था उसके विषय में भी बताया। जिसे सभी ने धैर्यपूर्वक उसे सुना ।‌‌ इसी महाविद्यालय की जन्तुविज्ञान की विभागाध्यक्ष प्रो. सुनीता आर्या महोदया ने भी इस विषय पर अपना विचार व्यक्त किया। परन्तु विज्ञान की शिक्षिका होने के कारण यज्ञ की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डाला।‌ तदनन्तर एक हिन्दी गीत का संस्कृत वर्जन भी इसी महाविद्यालय के शोधच्छात्रा सुकृति भगिनी के द्वारा प्रस्तुत किया गया जिसका शीर्षक था बहु प्रेम तुभ्यं करोमि अहं (बहुत प्यार तुमको करते‌ हैं सनम) । इसके बाद धन्यवादज्ञापित डॉ. मिथलेश गङ्गवार‌ ने संस्कृत में ही अत्यन्त रोचकरूप से की। इस कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. पप्पी मिश्रा, प्रो सुमन सिंह, बीएड की विभागाध्यक्ष, अन्य शिक्षिकाएं साधना सिंह, कविता श्रीवास्तव, एवं छात्राएं आस्था शुक्ला श्वेता पाण्डेय, निषाद अफजा, आकृति, अभिव्यञ्जना, निधि तिवारी, काव्या सभी उपस्थित रही। कार्यक्रम का समापन शान्तिमन्त्र ऊं सह नाववतु सह नौ भुनक्तु द्वारा किया गया।

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