मनीष गुप्ता
कानपुर।
जनपद कानपुर नगर के भीतरगांव क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सोमवार को एक बड़े झोलाछाप अस्पताल का खुलासा किया है। जानकारी के अनुसार, विकास यादव नामक व्यक्ति लंबे समय से “आरोग्य हॉस्पिटल” नाम से एक निजी अस्पताल चला रहा था, जबकि न तो उसका कोई पंजीकरण था और न ही आवश्यक योग्यता। आज दिनांक 3 नवम्बर 2025 को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भीतरगांव में आयोजित वैक्सीन प्रिवेंटेबल डिजीज वर्कशॉप के दौरान कुछ मरीजों के परिजनों ने अधिकारियों को इस अवैध अस्पताल के बारे में जानकारी दी। सूचना पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. यू.बी. सिंह तथा चिकित्सा अधीक्षक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भीतरगांव के नेतृत्व में टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए मौके पर छापा मारा।
निरीक्षण के दौरान अस्पताल में भारी मात्रा में एलोपैथिक दवाओं का अवैध भंडारण पाया गया। अस्पताल में चार से पाँच गंभीर मरीज भर्ती थे, जिन पर बिना किसी योग्य चिकित्सक की देखरेख में आईवी फ्लूइड और दवाइयों का उपचार चल रहा था।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इलाज कर रहे स्टाफ न केवल अप्रशिक्षित थे बल्कि नाबालिग भी निकले। उन्होंने अपने नाम माही और आयुषी बताए, जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम बताई जा रही है। पूछताछ में उन्होंने बताया कि अस्पताल का संचालन डॉ. विकास यादव करते हैं और उनके पिता रघुराज सिंह यादव मैनेजर हैं।
निरीक्षण के दौरान फोन पर बातचीत में रघुराज सिंह ने स्वयं को केवल मैनेजर बताया, परंतु जांच में यह तथ्य सामने आया कि पिता-पुत्र दोनों मिलकर इस अवैध अस्पताल का संचालन कर रहे हैं। निरीक्षण समाप्त होने के बाद जब रघुराज सिंह मौके पर पहुंचे, तो उन्हें नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया गया।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. यू.बी. सिंह ने बताया कि यदि निर्धारित समय में संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो इस प्रकरण में भारतीय दंड संहिता की धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर संबंधित थाने को सूचित किया जाएगा।
उधर, स्वास्थ्य विभाग की इस कार्रवाई की खबर क्षेत्र में फैलते ही अन्य झोलाछाप डॉक्टरों में हड़कंप मच गया। कई ने अपनी क्लीनिकों के शटर गिराकर फरार हो गए।
स्थानीय लोगों ने इस कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह की छापेमारी नियमित रूप से होनी चाहिए ताकि मरीजों की जिंदगियों से खिलवाड़ करने वाले फर्जी डॉक्टरों पर लगाम लग सके।