लिटरेचर फेस्टिवल – 24 दिसंबर (दूसरा दिन

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पहला सेशन: Sugar Spice and Everything Nice

कार्यक्रम की शुरुआत अनुष्का अग्रवाल की शॉर्ट फ़िल्म Sugar Spice and Everything Nice से हुई। अनुष्का कानपुर की रहने वाली हैं और इनकी यह शॉर्ट एनीमेशन फ़िल्म कई अन्य फ़िल्म फ़ेस्टिवल में दिखाई जा चुकी है। अनुष्का ने अपनी फ़िल्म के बारे में बताया कि यह घर में रहने वाली स्त्रियों के बारे में नहीं है यह सभी स्त्रियों के बारे में हैं . यह फ़िल्म बिना किसी संवाद के भी स्त्रियों कि भावनाओं को सशक्त तरह से व्यक्त करती है. इस फ़िल्म में प्रयोग होने वाले पपेट और घर भी अनुष्का ने खुद ही बनाये हैं.

दूसरा सेशन: अदबी बैठक

इस सेशन में दिल्ली से आए मोहम्मद अनस फ़ैज़ी ने अपनी मज़ाहिया शायरी के साथ अपनी जिंदगी के जानिब भी कई किस्से शेयर किये और ‘मुल्ला बनो’ नज़्म से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया। लखनऊ से आए अभिषेक शुक्ल ने आगाज़ करते हुए कहा
‘मेरी आँखे ना देखो तुमको नीद आये तो सो जाओ
ये हंगामा मेरी आँखों में शब भर होने वाला है
एक और ग़ज़ल का शेर था.
सियाह रात की सरहद के पार ले गया है
अज़ीब ख्वाब था आँखे उतार ले गया है

इसी क्रम में लखनऊ से आइ IAS पवन कुमार जी ने अपनी ग़ज़लें और कुछ अन्य अशआर पेश किए. उनकी खूबसूरत ग़ज़ल का पहला शेर था..
आपकी इस सल्तनत में कुछ गुज़र मेरा भी है
गर फ़लक भर है आपका तो आँख भर मेरा भी है.
इस सेशन का संचालन कानपुर की रचनाकार भावना मिश्रा ने किया और शायरों से उर्दू ज़बान, शायरी की तकनीक व इससे जुड़ी मान्यताओं के हवाले से बेहद दिलचस्प गुफ़्तगू की।

तीसरा सेशन: हिन्दी फ़िल्मों का अकेला गीतकार

भारतीय फ़िल्म जगत के महानगीतकार शैलेन्द्र के शताब्दी वर्ष पर उनको समर्पित इस सत्र में, मुंबई से आए विविध भारती के प्रस्तोता यूनुस खान से बड़े ही दिलचस्प अंदाज़ मे शैलेन्द्र के फ़िल्मी दुनिया के सफ़र के तमाम पहलुओं के बारे में गीतों के माध्यम से बात की। युनुस ने अपनी दिलचस्प गुफ्तगू से श्रोताओं को अपनी प्रस्तुति से जोड़े रखा. इस दौरान पेश किए गए गीतों में.. हरियाला सावन, आवारा हूँ, धरती कहे पुकार के, बरसात में हमसे मिले तुम वगैरह रहे.

चौथा सेशन: अटल जी का हिंदुस्तान और आज का भारत

इस सत्र में पूर्व PMO अधिकारी सुधीन्द्र कुलकर्णीं ने कम्युनिज़्म, कम्युनलिज़्म और कंज़्यूमरिज़्म के तमाम पहलुओं पर बात कि, इस सत्र की अध्यक्षता श्रमिक भारती के गणेश पाण्डेय ने कीम जिनके साथ अतुल तिवारी भी चर्चा में शामिल थे. सत्र के दौरान सुधीन्द्र जी ने अटल जी द्वारा भारत-पाकिस्तान रिश्तों को सुलझाने के प्रयत्नों पर प्रकाश डालने के साथ ही गाजा युद्ध का जिक्र करते हुए अटल जी कि कविता “जंग ना होने देंगे” सुनाई सुधीन्द्र कुलकर्णीं जी ने कहा भारत कभी भी किसी एक विचारधारा या किसी एक राजनैतिक दल का समर्थक नहीं हो सकता, कश्मीर और चाइना का भूमि विवाद समस्या अंग्रेजों की देन थी, उन्होंने सुझाव दिया कि अखंड भारत की जगह यूरोपिएन यूनियन कि तर्ज पर साउथ एशिएन यूनियन बनने का प्रयास करना चाहिए | उन्होंने अपने वक्तव्य का अंत करते हुए कहा अन्य शहरों की अपेक्षा कानपुर लिट्रेचर फ़ेस्टिवल अधिक प्रमाणिक और प्रतिबद्ध है भारत की आत्मा को ज़िन्दा रखने के लिए ऐसे कार्यक्रम आवश्यक हैं |

पाँचवाँ सेशन: बन्दे में है दम

बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध गीतकार, लेखक, पार्श्व गायक वह अभिनेता स्वानन्द किरकिरे के इस सत्र ने लोगों का दिल लूट लिया। उन्होंने ऑडियंस की माँग पर तमाम खूबसूरत और सुरीले गीत गए और इन गीतों को दिलचस्प बातचीत के साथ पिरोते हुए उनसे जुड़े तमाम किस्से भी सुनाए। उन्होंने थ्री इडियट्स, परिणीता, पीके, लगे रहो मुन्ना भाई और हाल में आई शाहरुख़ खान की फ़िल्म डंकी आदि के गीतों से दर्शकों का ख़ूब मनोरंजन किया.

छठा सेशन: कालजयी

इस सत्र में भारतीय संगीत परंपरा के नामवर क्लासिकल गायक कुमार गंधर्व जी के पोते भुवनेश कोमकली ने अपने दादा जी के शताब्दी वर्ष के अवसर पर उन्हें याद करते हुए बेहद सुंदर व सुरीले शास्त्रीय धुनों से सजे भजन सुनाए।

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