आरोप
मामला कानपुर का है पूर्व में सिविल लाइन कानपुर में ओला कंपनी ने सन 2016/17 में ऑफिस बनाया था और 21000 रुपए में पाए गाड़ी का प्रचार कर लोगों को अपने झांसे में फसाया था..
विज्ञापन को देखकर लोगों ने ओला ऑफिस मे संपर्क किया और गाड़ी प्राप्त कर ओला कंपनी मे चलाने की बात कही, कंपनी में मालिक भावेश अग्रवाल द्वारा अपने ब्रांच मैनेजरो को निर्देशित करते हुए कहा गया कि 24000 रुपए लेकर गाड़ियां दे दी जाए उपरोक्त सिविल लाइन कानपुर मैनेजर द्वारा गाड़ी देने की बात कही गई और प्रतिदिन 780 रुपए की किस्त भुगतान उपरोक्त इनकम पर देने के लिए कहा गया
निम्न ओला पार्टनर ड्राइवर वाहन स्वामियों ने इस पर अपनी रजामंदी दे दी जिन्हें गाड़ियां भी सुपुर्द कर दी गई परंतु कंपनी द्वारा एक माह तक अपने एप के माध्यम से काम अच्छा दिया गया फिर अगले माह में उपरोक्त ओला लीजिंग ड्राइवर लोगों के पास काम नहीं आने लगा जिससे ओला पार्टनर ड्राइवर को परेशानिया हुई जिन्होंने निम्न प्रदर्शन भी किया और शिकवा शिकायतें भी संबंधित पुलिस विभाग में की…
जब ओला पार्टनर ड्राइवर कंपनी की कार्यशैली से तंग आ गए फिर कानपुर सिविल न्यायालय में वाद दाखिल कर उपरोक्त वाहन को अपने कब्जे में लिया और न्याय की प्रतीक्षा करते रहे कि कंपनी उनका पेमेंट सहित भुगतान कर गाड़ी प्राप्त करेगी…
“ओला कंपनी के लीगल एडवाइजर द्वारा माननीय न्यायालय में दावा पेश किया गया जिसमें ओला पार्टनर ड्राइवर के साथ हुए एग्रीमेंट को भी पेश किया गया जो फर्जी रूप से कंपनी द्वारा तैयार किया गया क्योंकि जब ओला पार्टनर ड्राइवर शिक्षा विहीन,अंग्रेजी भाषा नहीं जानते है फिर उस 11 पेज के एग्रीमेंट को अंग्रेजी भाषा में कैसे पढ़ सकते हैं जिस पर कंपनी ने स्वयं अपने हस्तलेख से हस्ताक्षर भी उपरोक्त ओला पार्टनर ड्राइवर के कर लिए और एग्रीमेंट भी नहीं दिया…”
कंपनी ने ओला पार्टनर ड्राइवर से यह भी कहा था कि हम आपकी गाड़ी को 5 वर्ष में आपके नाम ट्रांसफर कर देंगे, निम्न वार्ता को देखते हुए ओला पार्टनर ड्राइवरो ने कर्जा लेकर भी 24000 रुपए का भुगतान कंपनी को किया और गाड़ी प्राप्त कर कंपनी के एप द्वारा लागिन करने लगे तथा ड्यूटी करने लगे..
16 घंटे 18 घंटे गाड़ी चलाने के बाद भी ओला पार्टनर ड्राइवर की जेब में ₹2000 का भुगतान नहीं होता था जिससे तंग आकर ओला पार्टनर ड्राइवरो ने माननीय न्यायालय में वाद दाखिल किया था….
माननीय सिविल न्यायालय में जब ओला पार्टनर ड्राइवर को उनके अधिवक्ता द्वारा बताया गया की ओला कंपनी के लीगल एडवाइजर ने दावा पेश किया है मुकदमा खारिज हो सकता है इस पर ओला पार्टनर ड्राइवर ने अपना ऑब्जेक्शन दाखिल करने की बात कही और मीडिया के समक्ष अपने बयान प्रस्तुत किये…
निम्न सबूतो के आधार पर कंपनी ने ओला पार्टनर ड्राइवर का शोषण किया जब गाड़ी की कीमत 750000 है फिर 780 रुपए की किस्त प्रतिदिन क्यों..?कंपनी ने कहा कि हम आपको प्रतिदिन 2000 का काम देंगे जिससे आपकी तनख्वाह भी निकलेगी और आप महीने के 21 हजार प्रति माह आपको बचेगा परंतु ऐसा नहीं हुआ अर्थात ओला पार्टनर ड्राइवर का शोषण सदैव होता रहा…
ओला पार्टनर ड्राइवर में कानपुर शहर के निम्न व्यक्ति सम्मिलित है जिन्होंने माननीय न्यायालय में अपना जवाब अल्पनामा के रूप में दाखिल करने की बात कही है..