कानपुर। स्वर्णमंदिर, श्री दिगम्बर जैन मंदिर, जनरलगंज में आज सुगंधदशमी के पावन अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। विद्वान महावीर जैन पंडित जी ने जिनवाणी के दोहे का अर्थ समझाया:
“ये धूप अनल में खेने से, कर्मों को नहीं जलाएगी; निज में निज शक्ति ज्वाला, जो राग-द्वेष नाश करेगी।”
उन्होंने बताया कि संयम दिखावे का नहीं, बल्कि आत्मा का विषय है। पंच इन्द्रियों पर विजय करना ही उत्तम संयम है। धर्म के पावन दिन पर सन्दीप जैन “तिजारे वाले” को प्रथम शान्तिनाथ करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। द्वितीय शान्तिधारा श्री कमलेश जैन “डाटा मैन” और तृतीय श्री अनिल जैन “चादूंवाड” को यह अवसर मिला।
सुगंधदशमी के अवसर पर सभी पूजारी केसरिया वस्त्र धारण कर नित्यनियम पूजा और अर्चना में सम्मिलित हुए। महिलाओं और बच्चों ने लाल-पीली साड़ियों में सपरिवार मन्दिरों में धूप खेनी और वातावरण के साथ-साथ आत्मा को भी सुगंधित किया।
सन्दीप जैन ने बताया कि जैन सिद्धांत अनुसार यह पर्व अष्ट कर्मों की निर्जरा का पर्व है। आज के दिन जैन समाज की परंपरा है कि सभी मन्दिरों में सपरिवार जाकर धूप खेनी की जाती है और संयम का पालन करते हुए मोक्षमार्ग पर जीवन की उन्नति की दिशा में कदम बढ़ाए जाते हैं।
सायंकाल जिन भक्ति सेवा समिति के मंडल द्वारा श्रीजी की आरती संगीत और भावनात्मक नृत्य के माध्यम से की गई। इसके साथ ही श्री दिगम्बर जैन महिला इकाई द्वारा शानदार जैन तम्बोला और प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं, पुरुषों और बच्चों ने भाग लिया और पुरस्कार प्राप्त किए।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित सदस्य थे: अलका, अंजना, मीनू, नीता, पुष्पा, रश्मि, महामंत्री अमित जैन, विशाल जैन, राजीव जैन “मोना”, वीरेन्द्र जैन सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति और समाज के सदस्य।
सुगंधदशमी ने मन्दिर और समाज में आत्मिक शांति, संयम और धर्म की महत्ता का संदेश दिया।