कार्यक्रम में मुख्य रूप से विश्वविद्यालय कुलपति एवं अपर जिला जज शुभी गुप्ता ने सहभागिता की
कानपुर-हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर कानपुर प्रेसक्लब के तत्वावधान में गोष्ठी का आयोजन किया गया जहां पर सोशल मीडिया पर पत्रकारिता को मिल रही चुनौतियों के लेकर विशेष चर्चा की गई कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अपर जिला जज शुभी गुप्ता और छत्रपति शाहू जी महाराज कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक ने सहभागिता की कानपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष व महामंत्री समेत वरिष्ठ पदाधिकारियों ने पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया इस अवसर अतिथियों समेत कार्यक्रम में सम्मिलित हुए वरिष्ठ पत्रकारों ने विस्तार से हिंदी पत्रकारिता दिवस एवं सोशल मीडिया के दौर में पत्रकारिता की चुनौतियां” पर अपना संबोधन दिया इस खास मौके पर छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय कुमार पाठक ने पत्रकारों के हितों के उद्देश्य से कुछ विशेष घोषणाएं भी की उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में पत्रकारिता हेतु निःशुल्क पाठ्यक्रम की शुरुआत की जाएंगी एवं एक संग्रहालय भी बनाया जाएगा जिसके माध्यम से भावी पत्रकार जान सकेंगे कि कैसे पुराने समय मे संघर्ष के दौर कलाम नाशीनो ने देखा है, साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया के दौर में पत्रकारिता की चुनौतियों पर बात करते हुए बताया कि पत्रकार सदैव संघर्ष करता है और हर चुनौती से टकरा कर निखरता है इस अवसर पर प्रेस क्लब अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार सरस बाजपेई, महामंत्री शैलेश अवस्थी, वरिष्ठ पत्रकार रमेश वर्मा, पूर्व अध्यक्ष प्रेस क्लब अवनीश दीक्षित, वरिष्ठ पत्रकार वेद गुप्ता, हैदर नकवी, कुशाग्र पांडे आदि लोग मौजूद रहे
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क्यों मनाया जाता है पत्रकारिता दिवस : आपको बताते चलें कि 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि आज के ही दिन कानपुर के रहने वाले पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने हिंदी भाषा मे ‘उदन्त मार्तण्ड’ नामक एक साप्ताहिक समाचार पत्र की शुरुआत 30 मई 1826 में कलकत्ता से की थी पंडित जुगल किशोर शुक्ल अधिवक्ता भी थे और कानपुर के रहने वाले भी थे लेकिन उस समय औपनिवेशिक ब्रिटिश भारत में उन्होंने कलकत्ता को अपनी कर्मस्थली बनाया पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने ब्रिटिश हुकूमत की नाक के नीचे हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास की आधारशिला रखी और “उदन्त मार्तण्ड” अखबार का प्रकाशन हिन्दी में शुरू किया था इस समाचार पत्र ने अपनी कलम और लेखनी से अंग्रेजी हुकूमत को इस तरह हिला कर रख दिया कि उसका प्रकाशन डेढ़ वर्ष से अधिक न हो सका इस साप्ताहिक अखबार के प्रकाशक एवं संपादक पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने 30 मई 1826 को “उदन्त मार्तण्ड” का पहला अंक प्रकाशित किया था और 5 सौ प्रतियां प्रकाशित की गईं थीं, जिसके परिप्रेक्ष्य में 30 मई का दिन हिन्दी पत्रकारिता का उद्भव कहलाया और हम को तभी से पत्रकारिता दिवस मनाने का अवसर मिला प्रत्येक मंगलवार को प्रकाशित होने वाले इस साप्ताहिक अखबार में “उदन्त मार्तण्ड” में हिन्दी भाषा के “बृज” और “अवधी” भाषा का मिश्रण होता था इस अखबार का 79वां और आखिरी अंक दिसम्बर 1827 में प्रकाशित हुआ था