गुर्दा रोग से बचाना है तो ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर रखिए संतुलित

गुर्दा रोग से बचाना है तो अपना अपना ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर रखिए संतुलित : डॉ० समीर गोविल
जे न्यूज इंडिया कानपुर नगर उत्तर प्रदेश
कानपुर-अनियंत्रित ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर गुर्दा की बीमारियों को बढ़ावा देने का काम कर रहे है पहले इसका कोई भी स्पष्ट लक्षण न उभरने से लोग बीपी और ब्लड शुगर की अनदेखी कर देते है और गुर्दा की समस्या की शुरूआत हो अधिकतर हो
जाती है गुर्दा रोग के बारे में अधिक जानकारी देते हुए सुपर स्पेशलिटी के वरिष्ठ डॉक्टर समीर गोविल ने बातचीत के दौरान संवाददाता को बताया कि गुर्दा की बीमारी पहले समझ में नही आती है लेकिन जब इसका प्रभाव बढ़ता है और उच्च स्तरीय जांच करायी जाती है तो गुर्दा के खराब होने और उसमें अन्य संक्रामण होने की बात का पता चलता है तब जाकर इलाज शुरू होता है विश्व गुर्दा दिवस के अवसर पर हैलट अस्पताल सुपर स्पेशलिटी के गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर समीर गोविल ने बताया कि वर्तमान में विश्व भर में गुर्दे की बीमारी बहुत तेजी से भारत देश मे लगातार
बढ़ रही है जो आम जन मानस के लोगो के लिए चिंता का विषय आयेदिन बढ़ता ही
जा रहा है उन्होंने बताया कि इस बीमारी का मुख्य कारण मघुमेह और उच्च रक्तचाप है गुर्दे की बीमारी एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई विशेष लक्षण किसी भी प्रकार का कोई भी
नही होता है। यह बीमारी हमारे शरीर मे अधिक से अधिक
कमजोरी, लगना जैसे कि भूख न लगना, जैसे साधारण लक्षण दिखाती है इस लिए ऐसी सामान्य बीमारियों से गुर्दे की बीमारी का निदान शुरू में मुश्किल करना हो जाता है जब तक रोगी एक विशिष्ट प्रयोगशाला परीक्षण के लिए नही जाता है तब तक सामान लक्षणो वाले सामान्य रोगो के समूह से गुर्दे की बीमारी का पता लगाना असंभव है अधिकांश गुर्दे की बीमारी का बहुत देर से पता चलती है क्यो कि लोगो में नियमित स्वास्थ्य जांच के बारे जागरूकता की कमी रहती है 40 वर्ष के बाद हर किसी को वार्षिक गुर्दे की जांच नियमित कराते रहना चाहिए साथ ही जिन्हें हाई बीपी और ब्लैड शुगर हो उनको वर्ष में दो बार अपनी जांच करवानी चाहिए ताकि जांच से पता चलता रहेगा कि हमारे शरीर में किस प्रकार की बीमारी उत्पन्न होने की संभावना है
किडनी का सामान्य कार्य व विफलता : द्रव संतुलन का नियंत्रण, हीमोग्लोबिन के स्तर का बदलना, शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित करना, शरीर के अम्ल और क्षार के संतुलन को बनाए रखना वहीं गुर्दे की विफलता के कारणो में मधुमेह 30 प्रतिशत कारण, हाई बीपी 15 प्रतिशत कारण, पथरी 10 प्रतिशत कारण गुर्दे की विफलता को बेहद दर्शाता है
गुर्दे की बीमारी की रोकथाम : किसी भी प्रकार की स्वयं दवा से बचे, कोई भी दवा बिना चिकित्सक की सलाह के न ले हाई बीपी और हाई ब्लड शुगर के रोगियो के लिए , शर्करा और उच्च रक्तचाप को अच्छी तरह से नियंत्रित किया जाना चाहिए साथ ही नियमित रूप से निगरानी की भी जानी चाहिए नियमित व्यायाम और संतुलित आहार लेना चाहिए, अच्छा मानसिक स्वास्थ्य और सकारात्मक दृष्टिकोण हमे आवश्यकतानुसार रखना चाहिए
क्योकि शरीर स्वस्थ तो हम स्वास्थ

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