जे न्यूज इंडिया संवाददाता
कानपुर-उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लखनऊ द्वारा कानपुर विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित सम्भागीय नाट्य समारोह के समापन दिवस पर नाटक ‘सुन लो स्वर पाषाण शिला ‘ का अद्भुत मंचन हुआ ‘सुन लो स्वर पाषाण शिला के’ राम कथा का ऐसा प्रसंग है जो भगवान राम के जीवन के आरम्भ में आता है परन्तु भगवान राम के जीवन का महत्वपूर्ण प्रसंग है यह अहिल्या प्रसंग पर आधारित रामकथा का नारी स्वर है जो उनको पुरूषोत्तम रूप में सामाजिक मर्यादा प्रदान करता है इस प्रसंग में नारी की सामाजिक दशा का विस्तृत वर्णन और राम के अप्रतिम पुरुषार्थ से उसके उद्धार का उल्लेख मिलता है अहिल्या उद्धार प्रसंग में राजनैतिक सत्ता की उच्छृंखलता का भी वर्णन मिलता है इन्द्र की कुटिलता से उपजी यह घटना परवर्ती अनेक सैद्धांतिक दृष्टांतों को समाज के सम्मुख रखती है गौतम ऋषि का पत्नी त्याग के उपरांत तपस्या हेतु उन्मुख होना पुरुषवादी सोच का परिमार्जन है अहिल्या द्वारा पति की इच्छा के सम्मुख नत हो जाना नारी आदर्श की पराकाष्ठा को भी प्रस्तुत करती है राम द्वारा अहिल्या उद्धार का यह प्रसंग तब चरमोत्कर्ष पर होता है जब राम अहिल्या उद्धार के उपरान्त “जैसे माता कौशल्या है वैसे ही माता अहिल्या है” कहकर अहिल्या को समाज में स्थापित करते हैं संगीत प्रधान शैली की इस नाट्य प्रस्तुति में राग भैरवी, शिवरंजनी, काफी आदि विभिन्न रागो पर कई आकर्षक गीतों का प्रयोग बहुत ही शानदार रहा, जिसकी संगीत रचना बनारस घराने की जानी मानी गायिका विदुषी सुचरिता गुप्ता ने तैयार किया है पाषाणी अहिल्या और वृक्ष की भूमिका के दृश्य में निर्देशक की प्रयोग धर्मात्मा और संवेदनशीलता दर्शकों को अचंभित करती है इस भूमिका को मंच पर अभिनीत भी स्वयं निर्देशक राजकुमार शाह ने किया, पाषाणी अहिल्या की भूमिका में रिम्पी वर्मा अपने सशक्त अभिनय से लोगों को भावनाओं में बह जाने को मजबूर कर देती है नवीन चन्द्रा विश्वामित्र की भूमिका में राम और लक्ष्मण सुनील कुमार, अजय कुमार, गौतमी अहिल्या गंगा प्रजापति और ऋषि गौतम के रूप में राजन कुमार झा के अभिनय ने प्रभावित किया रितिका सिंह कोरस के रूप में प्रस्तुति को गति देने में सफल रही, कुमार अभिषेक, वैभव बिन्दुसार और रिम्पी वर्मा का गायन लाजवाब रहा इन्द्र और चन्द्र की भूमिका में सुनील और हिमेश कुमार सराहनीय रहे प्रस्तुति का नाट्य आलेख संतोष कुमार, गीत लाल बहादुर चौरसिया का ध्वनि अभिकल्पना प्रवीण पाण्डेय और प्रकाश संयोजन तथ संचालन मोहम्मद हफीज द्वारा नाटक को एक ठोस धरातल प्रदान करती है ध्वनि प्रभाव अजय कुमार और राजन कु० झा, वेशभूषा एवं रूपसज्जा मनीषा प्रजापति, पारूल विश्वकर्मा, पूजा केसरी, रश्मि पाण्डेय, कला पक्ष रतन लाल जायसवाल और नृत्य संयोजन सुनंदा भट्टाचार्या का सफल रहा नाट्य मंचन के उपरांत अकादमी की नाट्य अधिकारी शैलजा कांत द्वारा कानपुर विश्वविद्यालय की ओर से कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर शुभम वर्मा को पुष्प गुच्छ एवम स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया तथा डॉक्टर शुभम वर्मा के द्वारा नाटक के निर्देशक को पुष्प गुच्छ एवम स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया तथा नाटक का संचालन प्रिया अवस्थी ने किया यह नाट्य समारोह कानपुर के लिए एक सुखद और बहुत अनुभूति भी रही ।