जब ठंड से बचने के लिए चिताओं की सुलगती लकड़ियो के बीच सो गया बुजुर्ग

भीषण ठंड से बचने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते कुछ लोग तो जल्द ठंड में स्नान नहीं करते तो कुछ लोग घर पर गर्म पानी करके स्नान करते तो कुछ लोग बिजली के उपकरण एवं भीषण
ठंड को देखते हुए घर पर लगे हुए इलेक्ट्रॉनिक एवं गैस गीजर का इस्तेमाल करके स्नान करते हैं और अपने शरीर को ठंड से बचाते हैं। साथ ही स्नान करने के बाद लोग अपने शरीर पर सरसों के तेल को शरीर में लगाकर मालिश भी करते हैं ताकि ठंड का प्रकोप शरीर पर ना पड़े और शरीर गर्म रहे साथ ही लोग ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़ों का भी उपाय करते हैं कहीं भी कर ठंड की चपेट में ना आ जाए वहीं कुछ शहर के गरीब एवं बेसहारा लोग एक ही कंबल में ओढ़ कर अपने आप को भीषण ठंड के प्रकोप से बचते हैं क्योंकि जान है तो जहान है दिसंबर का महीना खत्म होने को है साथ ही नया वर्ष आने वाला है जिसकी लोग तैयारी में जुटे हैं ठंड को देखते हुए आज कानपुर शहर में एक वीडियो वायरल हुआ है उसे वीडियो में साफ देखा जा सकता है की बुजुर्ग ने जलती चिता के पास लेट कर भीषण ठंड की
चपेट की आने के चक्कर में जलती चिता के पास ही लेट
गया खुल गई व्यवस्था की पोल आई पढ़ते हैं पूरी खबर और जानते हैं जानकारी

तब रैन बसेरा की व्यवस्थाओं पर खड़ा हुआ सवालए शहर में नही हो सकी अभी तक अलाव की व्यवस्था

कानपुर नगर। उम्र का ऐसा पड़ाव जब हाथ पैर काम करना लगभग बंद कर चुके है। ऊपर से बेसहारा जिंदगी। ऐसी ठण्ड में जब लोगों को रजाई में ठण्ड सता रही है ऐसे में एक बुजुर्ग स्वयं को ठण्ड से बचाने के लिए श्मशान में चिताओं की सुलगती लकडियो के बीच सो गया। यह ऐसा नजारा थाए जब मुर्दा चिताओं के बीच जिंदा आदमी जीवन अपने जीवन को बचाने का प्रयास करता दिखाई दे रहा था। खैर स्थानीय लोगो ने इसका वीडियों बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया।
हम किस आधुकिता की बात कर रहे है समाज में आज भी लोगों के पास छत नही है कोई अपना नही है बेसहारा बेबस अपनी जिंदगी काटने वालो के प्रति नगर प्रशासन भी सजग नही दिखाई देता। एक ओर सरकार अलाव और रैन बसेरा की व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए हर वर्ष विशेष प्रावधान करती है लेकिन नीचे के सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण आम जनमानस तक लाभ नही पहुंच पाता। एक मन विचलित मरने वाला मामला सामने आया। पार्वती बांगला रोड से लगे गंगा किनारे स्थित भैंरव घाट पर शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है और यहीं पर चिताओं की सुलगती लकड़ियों के बीच स्वयं को ठण्ड से बचाने के लिए एक बुजुर्ग सो गया। स्थानीय लोगों ने जब यह विडियों सोशल मीडिया पर डाला तो तेजी से वायरल हुआ।
मंदिरों और घाटों पर रहते है सैकड़ों बेसहारा बुजुर्ग यह कोई एक बुजुर्ग की कहानी नही है। कानपुर के घाट मंदिरों के घाट है और लगभग यहां सभी घाटों पर बेसाहारा बुजुर्ग बड़ी संख्या में रहते है जो यहां आने वाले श्रृद्धालाओं की कृपा के सहारे अपनी जिंदगी गुजार रहे है। भैरवघाट बाबा आनन्देश्वर घाट बिठूर के घाट सरसैया घाट जाजमऊ खेरेपति घाट आदि स्थानो पर एसे बुजुर्ग देखे जा सकते है।

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